LagatarDesk: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1-B वीजा के साथ ही, अन्य विदेशी कार्य वीजा पर लगे प्रतिबंध को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया है. पहले H1-B वीजा पर 31 दिसंबर 2020 तक के लिए प्रतिबंध लगाया गया था. जिसे फिर से बढ़ा दिया गया है. डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कामगारों की हित में वीजा पर लगे रोक को बढ़ा दिया है. ट्रंप ने कहा कि कोरोना वायरस का इलाज और वैक्सीन उपलब्ध तो है, लेकिन श्रम बाजार और सामुदायिक स्वास्थ्य पर महामारी का असर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है.
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भारतीय IT पेशेवर को ट्रंप ने दिया बड़ा झटका
ट्रंप के इस फैसले से बड़ी संख्या में भारतीय IT पेशेवर, कई अमेरिकी और भारतीय कंपनियां प्रभावित होंगी. ट्रंप ने साल 2020 में 22 अप्रैल से 22 जून तक अलग-अलग श्रेणियों के विदेशी कार्य वीजा पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. ट्रंप का यह आदेश 31 दिसंबर को खत्म हो रहा था. इसके खत्म होने के कुछ घंटे पहले ही ट्रंप ने गुरुवार को इसे 31 मार्च तक बढ़ाने की घोषणा कर दी.
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क्या है H1-B वीजा
H1-B वीजा एक तरह का गैर-अप्रवासी वीजा है. जिसके तहत IT प्रोफेशनल्स ये वीजा लेकर अमेरिका काम करने जाते हैं. ऐसी कंपनी जो अमेरिका में काम कर रही है, और वे किसी विदेशी को नौकरी देती है, तो वह H1-B वीजा लेकर वहां काम कर सकता है. कई भारतीय भी इसी वीजा को लेकर अमेरिका काम करने जाते हैं. H1-B वीजा 3 साल के लिए दिया जाता है. इसे अधिकतम 6 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. H1-B वीजा खत्म होने के बाद आवेदकों को अमेरिका में नागरिकता के लिए फिर से आवेदन करना पड़ता है.
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10 हजार से अधिक कर्मचारी H1-B वीजा पर निर्भर
भारत से बड़ी संख्या में IT पेशेवर H1-B वीजा लेकर अमेरिका में काम करने जाते हैं. ट्रंप ने कहा कि जिन वजहों से ये प्रतिबंध लगाये गये थे, वे नहीं बदले गये हैं. IT कंपनियां हर साल भारत, चीन और अन्य देशों से 10 हजार से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा पर निर्भर रहते हैं. इस फैसले से भारतीय पेशेवरों पर काफी असर पड़ेगा, जो अपने वीजा के रिन्यू होने का इंतजार कर रहे थे.
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फॉर्च्यून 500 कंपनियों के मूल्यांकन पर प्रभाव
ट्रंप ने 22 जून को एक कार्यकारी आदेश के जरिये नये H1-B और L-1 वीजा जारी करने पर 31 दिसंबर 2020 तक प्रतिबंध लगाया था. ब्रुकिंग्स इंस्टिट्यूट द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, इस आदेश से फॉर्च्यून 500 कंपनियों के मूल्यांकन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और उन्हें 100 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा.
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