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बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर केस :  सुप्रीम कोर्ट  ने कहा,  प्रबंधन निजी हो सकता है, देवता निजी कैसे हो सकते हैं?

 New Delhi :  वृंदावन  का बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर केस का मुद्दा गरमा गया है. आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं की पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने कहा कि यह निजी मंदिर है. केस की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच में हो रही है.

 

 

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मंदिर की आय सिर्फ निजी हित के लिए नहीं बल्कि मंदिर विकास योजनाओं के लिए भी है. दरअसल याचिकाकर्ताओं ने यूपी सरकार के उस अध्यादेश को चुनौती दी है, जिसके तहत मंदिर से जुड़ी व्यवस्था राज्य सरकार एक ट्रस्ट को सौंप दी गया है. याचिकाकर्ताओं ने बांके बिहारी मंदिर को निजी धार्मिक संस्था बताया है. कहा कि अध्यादेश के जरिए सरकार मंदिर पर अपरोक्ष रूप से अपना नियंत्रण पाना चाहती है.

 

 


याचिकाकर्ताओं ने वकील श्याम दीवान ने हाई कोर्ट की पिछली खंडपीठ के आदेश पर आपत्ति जताई. कहा कि कोर्ट ने दो व्यक्तियों के निजी विवाद से जुड़ी सिविल अपील में बांके बिहारी मंदिर को लेकर आदेश पारित कर दिया, जबकि यह जिम्मेदारी सरकार की है कि वह सुरक्षा, चेक पोस्ट और सार्वजनिक सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करे.  

 

 

श्याम दीवान ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार जमीन खरीदने के लिए मंदिर की राशि का इस्तेमाल करना चाहती हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि राज्य का इरादा मंदिर के धन को हड़पने का नहीं लगता. वह मंदिर के विका पर खर्च करना चाहती है.  

 

 


श्याम दीवान ने कहा कि यह निजी मंदिर है. मंदिर प्रबंधन समिति मंदिर का इंतजाम देखती है. समिति में चुनाव के जरिए चार सेवाधिकारी गोस्वामी चुने जाते हैं.  कोर्ट ने श्याम दीवान से पूछा कि आप किसी धार्मिक स्थल को निजी कैसे कह सकते हैं. जहां बहुत से श्रद्धालु आते हैं. वह निजी नहीं हो सकता. प्रबंधन निजी हो सकता है. लेकिन कोई देवता निजी कैसे हो सकता है?

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