Ranchi: अधिवक्ता परिषद, झारखंड का नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार मिश्र के नेतृत्व में राज्यपाल संतोष गंगवार से राजभवन में मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने "एकान्टिबिलिटि ऑफ इन्डिपेन्डेन्ट जुडिशियरी" विषयक प्रस्ताव की प्रति समर्पित करके उसे राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश को प्रेषित करने का अनुरोध किया. उक्त प्रस्ताव को अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद ने विगत 13 अप्रैल को विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश में संपन्न राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पारित की थी. उक्त प्रतिनिधिमंडल में झारखंड बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेन्द्र कृष्ण, उच्च न्यायालय इकाई के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार कश्यप, प्रशान्त विद्यार्थी, रीतेश कुमार बाॅबी, कृष्ण गोपाल निताई, किरण सुषमा खोया, राधाकृष्ण गुप्ता व रोमित कुमार शामिल थे. उक्त प्रस्ताव की प्रतियां राज्य के सभी अनुमंडल पदाधिकारियों - उपायुक्तों एवं आयुक्तों को ज्ञापन स्वरूप दिया गया. पारित प्रस्ताव में 10 सूत्री मांगें रखी गईं हैं. जिसमें प्रमुख रुप से न्यायिक सुधार करते हुए न्यायिक सेवा में नियुक्ति को और पारदर्शी बनाने के लिए नया विधेयक लाया जाए. जब तक नया कानून न बने तब तक वर्तमान काॅलेजियम जारी रखा जा सकता है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक स्थायी समिति पूर्व मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश व विख्यात ब्यक्ति को शामिल करके न्यायालय के कार्यों पर जिम्मेदारियों को देखने की बनाई जाए. अगर तत्काल उक्त समिति नहीं बनाई जा सकती है, तो लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में उसे लाया जाए. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रिश्तेदार व परिवार के सदस्य जहां वकालत करते हों, वहां से उनका स्थानांतरण हो. अगर सर्वोच्च न्यायालय के रिश्तेदार का मामला हो तो उनके अवकाश प्राप्ति तक वकालत न करें . अवकाश प्राप्त होने के उपरांत तीन वर्षों का कुलिंग पीरियड हो. दोनों शीर्ष न्यायालय में अवकाश ग्रहण करने की उम्रसीमा एक समान हो. सर्वोच्च व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश व उनके परिवार के सदस्यगण, प्रत्येक वर्ष अपनी सम्पत्तियों का विवरण वेबसाइट पर डालें. इसे भी पढ़ें- पाक">https://lagatar.in/big-attack-on-pak-army-10-soldiers-killed-bla-takes-responsibility/">पाक
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राज्यपाल से मिला अधिवक्ता परिषद का प्रतिनिधिमंडल
