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…तो ऐसे होता है गोरखधंधा
बरही-गया रोड स्थित तिरुपति गैस एजेंसी के संचालक उमेश ठाकुर ने बताया कि उनकी एजेंसी में करीब 30 कमर्शियल कनेक्शन हैं. इसमें रिफिल करवाने वाले की संख्या नहीं के बराबर हैं. इसका मुख्य कारण दूसरे क्षेत्र की एजेंसी की ओर से बरही में घरेलू गैस का धड़ल्ले से आपूर्ति होना है. इससे लोग 19 किलोग्राम के स्थान पर घरेलू सिलेंडर ही ऊंचे दर पर लेते हैं. यह कमर्शियल की तुलना में कम दर पर मिलते हैं. इस कारण एजेंसी का कमर्शियल सिलेंडर की खपत नहीं के बराबर होती है. इससे प्रति माह हजारों रुपए की क्षति हो रही है. इस दिशा में प्रशासन को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.प्रति माह लाखों का नुकसान
आंकड़ों के अनुसार औसतन बड़े होटलों, ढाबे में प्रतिदिन तीन और छोटे होटल और ठेले पर एक से डेढ़ सिलेंडर की खपत है. बरही क्षेत्र में करीब एक दर्जन बड़े होटल, 50 ढाबा और सैकड़ों छोटे होटल व ठेले मौजूद हैं. इस प्रकार प्रतिदिन करीब 200 कमर्शियल सिलेंडर की खपत होने की उम्मीद है. आंकड़ों के अनुसार करीब छह से सात सौ रुपए प्रति सिलेंडर की दर से लगभग डेढ़ लाख रुपए का सरकार को प्रतिदिन नुकसान है. यह महीने में 45 से 50 लाख रुपए तक हो सकता है. इसे भी पढ़ें :पलामू">https://lagatar.in/palamu-the-courtyard-of-farmers-smelling-of-flower-farming/">पलामू: फूलों की खेती से महक रहा किसानों का आंगन
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