Ranchi : झारखंड के धुर्वा सेक्टर 2 के बंगला स्कूल में चैती दुर्गा पूजा यानी बासंती पूजा पूरे हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी. यह पूजा 3 से 6 अप्रैल तक चली. इस दौरान राजा सुरथ की तपस्या और मां दुर्गा की पूजा की कहानी को याद किया गया.
बासंती पूजा की शुरुआत राजा सुरथ ने बसंत ऋतु के चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में की थी. उन्होंने अपने खोए हुए राज्य को वापस पाने के लिए घोर तपस्या की थी. बाद में रामचंद्र जी ने सीता उद्धार के लिए अकाल बोधन कर शरद ऋतु में दुर्गापूजा की, जिसे बंग समुदाय के लोग दुर्गा पूजो के रूप में मनाते हैं.
रांची में सन 2010 में सुब्रत बनर्जी, उत्तम घोष, सुकृत भट्ट्याचार्य, सजल बनर्जी, राजकुमार चक्रबर्ती आदि ने अपने उद्योग से सबसे पहले बासंती पूजा की शुरुआत की थी. बाद में काफी संख्या में बंग समुदाय के लोग इससे जुड़ते गये और एक कारवां के रूप में यह विकसित होकर झारखंड की एकमात्र और अनुठी पूजा बन गयी.
बासंती पूजा में हर दिन शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ. स्थानीय कलाकारों के साथ इस बार मुख्य आकर्षण का केंद्र प्रख्यात कलाकार लोपामुद्रा मित्रा का संगीत कार्यक्रम था. मंच संचालन रिंकू बनर्जी ने किया. इस मौके पर प्रख्यात चिकित्सक डॉ बिश्वनाथ बनर्जी को भी सम्मानित किया गया.