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तैयार रहिये, अब बिजली के नाम पर लूटेंगी प्राइवेट कंपनियां

देश में ऐसी कई सेवाएं हैं, जिन्हें सस्ती करने के नाम पर एक दो कंपनी की झोली में डाल दिया गया. जब कंपनियों की मोनोपोली बन गई, तब वो आम लोगों को लूट रहे हैं और सरकारें चुप हैं. मोबाइल रीचार्ज, एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध सेवाएं, हाईवे पर चलने के लिए टोल टैक्स समेत ऐसी कई अन्य सेवाएं शामिल हैं. 


अब तैयार हो जाईये, केंद्र सरकार कुछ ऐसा करने जा रही है, जिससे कि कुछ सालों बाद बिजली के नाम पर भी प्राइवेट कंपनियों को लूट की छूट मिल जायेगी. आपके शहर-गांव, घर में कनेक्शन तो रहेंगे, बिजली व्यवस्था शायद बेहतर ना हो, लेकिन बिजली नहीं मिलेगी.

 

केंद्र सरकार ने राज्यों के स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनियों (DISCOM) को घाटे से उबारने के नाम पर पुनरुद्धार के लिए एक लाख करोड़ रुपये का पैकेज ला रही है. इसमें कुछ शर्तें भी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस पैकेज को लाने का प्लान अगले बजट में आ सकता है.

 

केंद्र सरकार पैकेज के साथ जो शर्त ला रही है, उसके मुताबिक राज्यों को अपनी वितरण कंपनियों को निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से खोलना होगा. साथ ही उन कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराना होगा. राज्यों की सरकारों के पास दो विकल्प होंगे. पहली यह कि वितरण कंपनी बनायें, जिसमें से 51 प्रतिशत शेयर निजी कंपनी को दे दें. दूसरी यह कि मौजूदा वितरण कंपनियों में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की कंपनियों को दे दी जाए. ऐसा करने पर राज्यों की सरकार को तरह-तरह के लोन समेत अन्य सुविधाएं दी जाएंगी.

 

मतलब यह कि वितरण कंपनियों के घाटे से उबारने के नाम पर बिजली वितरण क्षेत्र को निजी कंपनियों को हवाले कर दिया जायेगा. सरकार आम लोगों को किसी तरह की राहत नहीं दे पायेगी. और हम सब जानते हैं कि निजी कंपनियां कैसे काम करती है. पहले बेहतर सेवा दो, बाजार से प्रतिद्वंदी कंपनियों को खत्म करो, फिर मोनोपोली बनाओ और फिर बेरोक-टोक लूट की छूट.

अभी वितरण कंपनियों को सरकार चलाती है. सरकारें आम तौर पर कल्याणकारी होती हैं. वह आम लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जनता को अलग-अलग तरह से राहत देती है. यह सही है कि लोग बिल का भुगतान नहीं करते. इस कारण वितरण कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. लेकिन यह भी सही है कि सरकार जनता के ही टैक्स से चलती है. जनता के लिए वह नहीं सोचेगी, तो कौन सोचेगा.

 

वितरण कंपनियां जब निजी कंपनियों के हाथ में होगी, तब सरकार कुछ नहीं कर पायेगी. सबकुछ कंपनी और बाजार के हाथ में होगा. जिनका एक ही लक्ष्य होता है- ज्यादा से ज्यादा मुनाफा. तब बिजली और महंगी हो जायेगी. आम लोगों की पहुंच से दूर भी. ऐसी स्थिति में होगा यह कि आपके शहर, गांव या घर में बिजली कनेक्शन तो होगा, लेकिन महंगी बिजली के कारण बल्ब नहीं जला पाएंगे. फ्रीज-टीवी नहीं चला पायेंगे. क्योंकि तब यह सब करने के लिए आपको अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा बिजली बिल के रुप में ही चुकाना पड़ेगा.

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