Nishikant Thakur
अपना देश किंवदंतियों से भरा है. बचपन से जब आप कहीं की यात्रा पर जानेवाले हों, हिदायत दी जाती थी कि 'अमुक स्थान पर सतर्क रहना, क्योंकि कहा जाता है कि वहां 'आंख बंद डब्बा गायब' हो जाता है.' इसलिए बेहद सतर्क रहना, लेकिन जब आप अपने ही घर में हों और पलक झपकते ही अपराधियों के दुश्चक्र में फंस जाएं तो फिर इसका क्या उपाय हो?
इस तरह आपका डब्बा गायब करनेवाले कहीं और नहीं आपको अपने ही घर में नजरबंद कर देंगे, आपके जीवनभर की कमाई को चुटकियों में उड़ा लेंगे- इस साजिश को आज विश्व में नया नाम दिया गया है 'डिजिटल अरेस्ट.' सबसे पहले यह जानने का प्रयास करते हैं डिजिटल अरेस्ट होता क्या है. यह धोखाधड़ी वाली रणनीति है, जिसका इस्तेमाल साइबर अपराधी डिजिटल गिरफ्तारी वारंट का दावा करके किसी व्यक्ति पर कानून तोड़ने का असत्य आरोप लगाने के लिए करते हैं.
ये स्कैमर स्वयं को सीमा शुल्क, आयकर विभाग या यहां तक कि केंद्रीय जांच एजेंसियों, जैसे- संगठनों के अधिकारी, जैसे सीबीआई, ईडी जैसी संस्था से जुड़े बताते हैं. साइबर अपराध एक व्यापक शब्द है, जिसका अर्थ है, कंप्यूटर, नेटवर्क या डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके की जाने वाली आपराधिक गतिविधियां. इसमें हैकिंग, पहचान की चोरी, फ़िशिंग, मालवेयर और रैंसमवेयर हमले और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे विभिन्न प्रकार के अपराध शामिल हैं, जिनमें व्यक्तियों और संगठनों को भारी वित्तीय नुकसान हो सकता है.
आप अपने घर में निर्विकार भाव से टेलीविजन पर कोई फिल्म या सीरीज देख रहे हैं, तभी आपके मोबाइल पर एक वीडियो कॉल आता है जहां एक पुलिस ऑफिसर आपको नाम से संबोधित करते हुए कहता है कि आपके विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ है जिसमें आपकी गिरफ्तारी का आदेश दिया गया है. फिर एक तथाकथित प्राथमिकी दिखाकर बताया जाता है कि यह आपके विरुद्ध प्राथमिकी है और यह आपकी गिरफ्तारी का वारंट. इसके साथ ही आपको किसी अपराध में संलिप्त बताया जाता है, जो नितांत गैर कानूनी है.
आपको इन अपराधों के लिए कई वर्षों की सजा हो सकती है. फिर आप डरे हुए उस तथाकथित पुलिस अधिकारी से अपनी गिरफ्तारी से बचने का उपाय पूछने लगते हैं?. बस, यही उसका लक्ष्य होता है वह पहले अपनी ईमानदारी का ढोंग रचते हुए आपके मनोबल को तोड़ता है, फिर कानाफूसी करके उससे बचने का तरीका ढूंढने के लिए आप पूछते है. अब आप उसके चंगुल में है और वह आपकी जमी जमाई पूंजी को निकलना शुरू कर देता है. आप तब तक उस वीडियो कॉल से अपने को अलग नहीं कर पाते जब तक वह आपकी जमा पूंजी को साफ नहीं कर देता. आप तब तक उसके डिजिटल अरेस्ट में रहते हैं, जब तक उसकी मंशा पूरी नहीं हो जाती, यानी आपका खजाना खाली नहीं हो जाता.
अभी ताजा घटनाक्रम का विवरण देना उचित समझता हूं कि व्हाट्सएप पर एक फोन आता है कि आपका समान डिलीवरी के लिए गया हुआ है, लेकिन डेलिवरी ब्वॉय को आपका लोकेशन समझ में नहीं आ रहा है. उसका नंबर भेज रहा हूं, कृपया उससे बात कर लीजिए, ताकि आपके सामान की डिलीवरी हो सके. जब उस नंबर पर फोन किया गया तो नंबर पर घंटी जाती रही फोन उठा नहीं, लेकिन जब पहले वाले नंबर पर फोन करके यह पूछा तो उसने कहा कि एक कोड भेज रहा हूं, यह उसका कोड है.
कोड आया, फिर जैसे ही उसको दबाया गया व्हॉट्सएप स्क्रीन काला हो गया और सारा व्हॉट्सएप बंद हो गया. फिर उस नंबर से जितने लोग जुड़े थे सबके पास उस हैक मोबाइल से एक संदेश गया. संदेश था 'मैं एक बड़ी मुश्किल में फंस गया हूं. मुझे दो घंटे के लिए....रुपये यदि भेज देंगे तो हम आजीवन आभारी रहेंगे.' कोई यह समझ नहीं पाया कि नबर हैक कर लिया गया है, इसलिए जो घनिष्ठ मित्र मंडली में थे, उन्होंने उस व्हाट्सएप किए गए व्यक्ति के झांसे में आकर रुपये भेजना शुरू कर दिया. जिनका नंबर हैक किया गया था, उन्होंने अपने पहचान के लोगों को किसी दूसरे के फोन पर अपने किसी को बताया कि उनका फोन हैक कर लिया गया है, अतः यदि उनके फोन से कुछ मांग की जाए, तो उसे न सुनें, लेकिन यह क्या! तब तक देर हो चुकी थी और कई लोग ठगी के शिकार हो चुके थे.
फिर साइबर पुलिस को शिकायत करके मोबाइल हैकर से मुक्त कराया गया. अब साइबर क्राइम ब्रांच द्वारा उसकी जांच की जा रही है. उसका हल क्या निकलेगा, यह तो पुलिस जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन साइबर अपराध की जो स्थिति देश में बनती जा रही है, यह तो उसकी एक बानगी भर है. इसे ऑनलाइन लूट (अपराध) भी कहा जाता है.
वैसे यह मामला देशभर में चर्चित है, लेकिन अभी हाल ही में एक मामला सुप्रीम कोर्ट में आया है. अपराध के लिए कहा गया है कि अंबाला की एक बुजुर्ग दंपति को तीन सितंबर से सोलह सितंबर तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया और उनके जीवनभर की कमाई लगभग सवा करोड़ की ठगी करते हुए अपने खाते से ट्रांसफर करने को मजबूर कर दिया गया.
बुजुर्ग दंपति का कहना है कि सीबीआई और ईडी अधिकारी बनकर उनसे संपर्क किया गया और फिर वीडियो काल में अदालती आदेश दिखाए गए थे. अंबाला की साइबर क्राइम ब्रांच में भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं में दो एफआईआर दर्ज हैं. कोर्ट ने अपराध की इस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए कहा कि इससे संकेत मिलता है कि इस संगठित अपराधिक गतिविधियों में विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है. घोटालेबाजों ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत तीन सितंबर को जारी फ्रीज आदेश दिखाया.
ईडी अधिकारी कोर्ट की मुहर वाला तीन सितंबर का गिरफ्तारी आदेश दिखाया तथा फर्जी न्यायिक हस्ताक्षर वाला सर्विलांस आदेश भी दिखाया. इसके अतिरिक्त सीबीआई और ईडी की फर्जी जांच का दावा करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की विभिन्न फर्जी कार्यवाही दिखाई. सच तो यह है कि इतने फर्जी तरीके से यदि वरिष्ठ नागरिकों को डराया जाएगा, तो फिर कोई कैसे बच सकता है?
वैसे, इन अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारों ने एक साइबर पुलिस का ही गठन कर दिया है, जिसके कारण यादकदा साइबर अपराधियों का गिरोह पकड़ा भी जाता है, लेकिन इसे जड़ से खत्म कर देना सरकार और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. वैसे अब ऑनलाइन धोखाधड़ी तथा डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, सीबीआई, हरियाणा सरकार तथा अंबाला में एसपी साइबर क्राइम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
इस तरह के सवाल-जवाब तो होते ही रहेंगे, लेकिन प्रश्न यहां यह उठ खड़ा होता है कि आखिर बुजुर्ग दंपति अपनी सुरक्षा कैसे करे. जिस तरह से अपराधी वरिष्ठ नागरिक को खौफ दिखाकर सबकुछ कुछ ही मिनटों में साफ कर देते हैं, उससे कैसे निपटा जाए. यह ठीक है कि बुजुर्ग दंपति की रक्षा के लिए सरकार ने तरह-तरह के कानून बना रखे हैं, पर उसका पालन तो राज्य और देश की पुलिस प्रशासन को ही करना होगा, लेकिन क्या हमारी पुलिस प्रशासन इतनी चुस्त दुरुस्त है जो ऐसे साइबर अपराधियों पर अंकुश लगा सके और वरिष्ठ नागरिकों के जानमाल की हिफाजत कर सके?
ऐसा कभी हो ही नहीं सकता कि सरकार हर बुजुर्ग दंपति (वरिष्ठ दंपति )के लिए सुरक्षा का इंतजाम अलग-अलग कर सके. लेकिन पुलिस यदि इस बात के लिए प्रतिबद्ध हो जाए तो कोई अपराधी इस तरह के अपराध करने से पहले सौ बार सोचेगा. इसके लिए पुलिस को अपना इकबाल कायम करना होगा और नागरिकों को स्वयं भी सतर्क रहना होगा ऐसा इसलिए कि आप कितने सतर्क हैं इसकी समीक्षा तो तब होगी, जब आप ऐसे ठगों को स्वयं सबक सिखाने में सक्षम होंगे, इसलिए स्वयं भी सावधान रहिए और सतर्क रहना सीखिए.
डिस्क्लेमर : लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं.
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