Bermo : इसे बदनसीबी या मजबूरी कहा जाए. जो माता-पिता अपने बच्चों को जन्म देकर लालन-पालन करते हैं, वे जवान बेटे के शव की पहचना नहीं कर रहे हैं. घर भरा-पूरा है लेकिन माता-पिता की जगह युवक का अंतिम संस्कार पुलिस को करेगी. ऐसा भी नहीं है कि माता-पिता स्वेच्छा से अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते. माता-पिता को पूरी इच्छा है कि अपने लाड़ले की अंतिम संस्कार करें, लेकिन किसी के भय के कारण वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. मामला बेरमो अनुमंडल के चतरोचट्टी थाना अंतर्गत उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र ढ़ोरी गांव की है. पुलिस ने 14 मार्च को जंगल से एक युवक का शव बरामद किया. मृतक के माता-पिता और स्थानीय ग्रामीण सब कुछ जानते हुए भी अनजान बने हैं. डर के कारण सबके जुबान पर ताले लगे हैं. माता-पिता समेत ग्रामीणों को नक्सलियों का भय है. डर है कि मुंह खोलने पर नक्सली हमलोगों की भी हत्या कर देंगे. क्या है घटनाक्रम 11 मार्च की रात ढ़ोरी गांव में एक शादी समारोह में सभी मस्त होकर नाच-गा रहे थे. ऐन मौके पर हथियारों से लैस नक्सलियों का दल वहां पहुंचा तथा मुकेश किस्कू नामक युवक को अगवा कर लिया. इस घटना के बाद समारोह स्थल पर सन्नाटा पसर गया. गांव वालों ने भांप लिया कि युवक को अगवा नक्सली दस्ता ने किया है. 12 मार्च की सुबह से पुलिस प्रशासन समेत स्थानीय स्तर पर घटना की चर्चा होने लगी. सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस गांव वालों से आकर पूछताछ की, लेकिन किसी ने कोई जानकारी नहीं दी. पुलिस ने अगवा युवक के माता-पिता से भी पूछताछ की, लेकिन उनलोगों ने भी जुबान नहीं खोली. घटना के दो दिनों बाद जंगल से उस युवक का शव बरामद किया गया. आलम यह है कि शव की शिनाख्त के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है. इस स्थिति में पुलिस शव की शिनाख्त के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाने की तैयारी कर रही है. फिलहाल गांव में दहशत का माहौल है. यह">https://lagatar.in/wp-admin/post.php?post=268278&action=edit">यह
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बेरमो : जंगल से बरामद शव की पहचान नहीं कर रहे माता-पिता

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