Bermo : गोमिया प्रखंड से लगभग 40 किलोमीटर दूर बड़की चिदरी पंचायत के ढोरी गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. यहां क़रीब 45 आदिवासियों के घर हैं. इस गांव के ग्रामीणों के लिए कोई मुख्य सड़क नहीं है, जिसके कारण वे पगडंडियों के सहारे आना-जाना करते हैं. बरसात के दिनों में जब कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे खाट में लादकर ले जाना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि यहां उससे भी बड़ी समस्या पानी की है. इस गांव में एक भी न कुआं है न चापाकाल है. पानी लाने के लिए करीब एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.
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इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि काफ़ी दूर में एक नाला बहता है, जहां से पानी छानकर लाना पड़ता है. उनका कहना है कि खाना बनाने से लेकर पीने तक का पानी लाना पड़ता है. महिलाओं को पानी लाने के लिए आधा दिन गुजर जाता है. गांव में व्याप्त समस्यओं पर बताया कि यहां कोई भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी नहीं आते हैं, लिहाजा मनरेगा योजना के तहत कुआं या डोभा की योजना इस गांव को नहीं मिल पायी है. यह गांव उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में है. जबकि झुमरा एक्शन प्लान के तहत इन क्षेत्रों के विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन इस गांव तक झुमरा एक्शन प्लान की रोशनी नहीं पहुंच सकी.