Breaking : सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना पर लगायी रोक, असंवैधानिक करार दिया
SBI को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गये चुनावी बॉन्ड का ब्योरा निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया
NewDelhi : चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इस पर रोक लगा दी है. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. बेंच ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत चुनावी बॉन्ड योजना संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है. नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है. पांच जजों की बेंच ने चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाये. भारत सरकार साल 2017 में यह कानून लेकर आयी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को पलट दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बैंक तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद कर दें। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एसबीआई राजनीतिक दलों द्वारा लिए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करेगा। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एसबीआई भारत के चुनाव आयोग को विवरण प्रस्तुत करेगा और ECI इन विवरणों को वेबसाइट…
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 15, 2024
12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गये बॉन्ड का ब्यौरा ECI को सौंपने का निर्देश
चुनावी बॉन्ड स्कीम जनवरी 2018 में की गयी थी लॉन्च
चुनावी बॉन्ड योजना सरकार ने दो जनवरी 2018 को लॉन्च किया था. इसे राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिये जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था. योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है. कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है. बॉन्ड की बिक्री की पहली किश्त उसी साल मार्च में जारी की गयी थी. यह योजना शुरू में यानि जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में 10-10 दिनों की अवधि के लिए और लोकसभा चुनाव के साथ एक साल के लिए अतिरिक्त 30-दिन की अवधि के लिए शुरू की गयी थी. जानकारी के अनुसार नवंबर 2022 में वित्त मंत्रालय ने विधानसभा चुनाव के साथ किसी भी वर्ष में 15 दिनों की बिक्री की अनुमति देने के लिए योजना में संशोधन कर दिया था,
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