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पुरानी नीति पर पार्टी
सूत्रों की मानें तो उमेश कुशवाहा का चुना जाना एक बार फिर पार्टी का `लव-कुश` (ओबीसी कुर्मी एवं कुशवाहा जाति समीकरण) की नीति पर लौटने का संकेत है. देखा जाय तो वर्ष 2005 में जब जद (यू) और भाजपा ने मिलकर राजद को बिहार की सत्ता से उखाड़ फेंका था. उसके बाद से कुर्मी जाति से आने वाले बिहार की राजनीति में `लव-कुश` समीकरण के साथ हैं ताकि गैर यादव ओबीसी जातियों को लुभाया जा सके. 46 वर्षीय कुशवाहा का चुना जाना यह दर्शाता है कि पार्टी युवा नेतृत्व की ओर बढ़ रही है. ताकि बिहार के युवा नेतृत्वकर्ताओं यानी राजद के तेजस्वी यादव और लोजपा के चिराग पासवान का मुकाबला किय जा सके. दूसरी तरफ हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर करीबी आरसीपी सिंह को अपना उत्तराधिकारी बनाकर परिवर्तन का संकेत पहले ही दे दिया है. इसे भी पढ़ें-बिहार:">https://lagatar.in/bihar-engineers-queuing-up-for-group-d-jobs-how-will-unemployment-go-away/15801/">बिहार:ग्रुप डी की नौकरी के लिए कतार में हैं इंजीनियर, कैसे दूर होगी बेरोजगारी