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झारखंड स्थित 5 कंपनियों की 286 एकड़ जमीन पर अब तक बिहार का कब्जा

  • BSIDC के एसेट्स ट्रांसफर के लिए झारखंड ने बिहार को कई बार लिखा पत्र
  • बिहार सरकार की  सहमति बगैर झारखंड सरकार नहीं कर सकती अधिग्रहण
Satya Sharan Mishra Ranchi :  झारखंड सरकार राज्य में बंद हो रही औद्योगिक इकाइयों के पुनरुद्धार के लिए जोर लगा रही है. दूसरी तरफ झारखंड बनने के 20 साल बाद भी यहां स्थित 5 औद्योगिक इकाइयों पर बिहार कब्जा जमाये बैठा है. बिहार पुनर्गठन अधिनियम-2000 के तहत झारखंड ने बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड की इन इकाइयों के एसेट्स ट्रांसफर के लिए बिहार सरकार को पत्र भी लिखे. लेकिन बिहार सरकार ने अब तक सहमति नहीं दी है. इसकी वजह से इन 5 कंपनियों की 286 एकड़ जमीन और एसेट्स अभी भी बिहार सरकार के कब्जे में हैं. इसे भी पढ़ें - वन">https://english.lagatar.in/water-reservoir-scheme-hanging-in-the-balance-for-last-5-years-between-forest-and-irrigation-department-deoghar-dc-asked-for-information/44271/">वन

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रिमांडर के डेढ़ साल बाद भी बिहार सरकार ने नहीं दिया जवाब

झारखंड स्थित इन 5 कंपनियों का स्वामित्व अब तक बिहार सरकार सरकार के पास है. इनमें नामकुम स्थित हाईटेंशन इंस्युलेटर फैक्ट्री, टाटीसिल्वे की इलेक्ट्रिक इक्विमेंट फैक्टरी, मैलेबल कास्ट आयरन फाउंड्री और रांची की ही स्वर्णरेखा वॉच फैक्टरी शामिल है. सिंदरी स्थित बिहार स्टेट सुपर फॉस्फेट फैक्टरी पर भी बिहार का ही स्वामित्व है. झारखंड के उद्योग विभाग ने 21 अगस्त 2019 को एसेट्स ट्रांसफर के लिए बिहार इंडस्ट्री डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को रिमाइंडर भेजा था. डेढ़ साल बाद भी इसका जवाब नहीं आया है.

286 एकड़ जमीन में लग सकते हैं कई उद्योग

इन पांचों कंपनियों का स्वामित्व तो बिहार सरकार ने अपने पास रखा है. लेकिन इनकी देखरेख और सुरक्षा जिम्मा झारखंड पर डाल रखा है. इन इकाइयों के पास नामकुम में 112.26 एकड़, टाटीसिल्वे में 94.44 एकड़ और सिंदरी में 79.30 एकड़ जमीन है. यानी कुल 286 एकड़ जमीन बिहार सरकार झारखंड को हस्तांतरित कर दे, तो राज्य सरकार को उद्योगों के लिए जमीन तलाशने की बहुत जरूरत नहीं पड़ेगी. अपने लैंड बैंक के अलावा यह 286 एकड़ जमीन भी सरकार निवेशकों को मुहैया करा सकेगी. यहां कई उद्योग लग सकते हैं और रोजगार का सृजन हो सकता है.

स्वामित्व मिले तो कई बंद कंपनियों का होगा उद्धार

झारखंड में उद्योग की अपार संभावनाएं हैं. पर्याप्त संसाधनों के बावजूद राज्य के कई बड़े और छोटे उद्योग बंद हो गये. सरकार ने 600 से ज्यादा बीमार कंपनियों को पुनरुद्धार के लिए चिन्हित किया है. अगर बिहार सरकार झारखंड की बंद पड़ी कंपनियों का स्वामित्व जल्द झारखंड को सौंपे, तो उन बंद उद्योगों का भी उद्धार हो सकता है. https://english.lagatar.in/officers-divided-mnrega-schemes-in-dumka-show-cause-to-raneshwar-bdo/44294/

 

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