Patna: कतरनी चावल, जर्दालू आम, शाही लीची और मगही पान के बाद मखाना को भी जीआई टैग मिलने की उम्मीद बढ़ गयी है. जल्द ही मखाना को भी जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग मिल सकता है. हाल ही में केंद्र सरकार के कंसल्टेटिंग समूह ने इसे लेकर पटना में बैठक की थी. इसमें टैग को लेकर चर्चा हुई. टैग मिलने के बाद इसके कारोबार में तेजी आएगी. इसमें लगे व्यापारियों को फायदा होगा. जीआई टैग की बैठक में मिथिलांचल मखाना उत्पादक समूह भी शामिल हुए थे. उन्होंने इसके उत्पादन के इतिहास की जानकारी देकर बताया कि यह बिहार का ही उत्पाद है. इसके इतिहास से जुड़े प्रमाण भी प्रस्तुत किये गये. साथ ही इसकी विलक्षणता से भी अधिकारियों को अवगत कराया. बताया जाता है कि टैग मिलने से राज्य के मखाना उत्पादकों को नया बाजार मिल जाएगा. उनकी आमदनी बढ़ेगी साथ ही खेती को भी बढ़ावा मिलेगा.
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करने के लिए एक मोटिव, टाइम मैनेजमेंट और इच्छा शक्ति होनी चाहिए- मेयर इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक है
बताया जाता है कि राज्य में मखाना का उत्पादन लगभग छह हजार टन होता है. यह विश्व में होने वाले उत्पादन का 85 प्रतिशत है. इस सूखे मेवे में हर वह जरूरी विटामिन है जो किसी व्यक्ति को कोरोना से लड़ने की ताकत देता है. इम्युनिटी बढ़ाने में भी यह सहायक है. इससे दिल के मरीजों को भी फायदा होता है.
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