Ramgarh: डीएवी रजरप्पा में शनिवार को हिंदी पंचांग के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की दसवीं तिथि को महर्षि दयानंद सरस्वती की 201वीं जयंती तथा स्वामी श्रद्धानंद की 169वीं जयंती मनाई गई. सर्वप्रथम विद्यालय के प्राचार्य डॉ एसके शर्मा ने शिक्षक–शिक्षिकाओं सहित बच्चों ने चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. तत्पश्चात दोनों महर्षियों के जन्म दिवस पर वैदिक हवन कार्यक्रम आयोजित किए गए. हवन कार्यक्रम के दौरान वैदिक व गायत्री मंत्रों के साथ पूरा विद्यालय दयानंदमय हो उठा.
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय की आठवीं की छात्रा हिमानी उपाध्याय, धर्म शिक्षक और संस्कृत शिक्षक सत्यकाम आर्य व रामेश्वर शर्मा ने दोनों महर्षियों के जन्मदिवसोत्सव पर उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला. वहीं संगीत शिक्षक रजनीश पाठक ने उनकी संपूर्ण जीवन को उजागर करने के लिए मनमोहक भजन से सबको आह्लादित कर दिया. कार्यक्रम के अंत में झारखंड प्रक्षेत्र–डी के सहायक क्षेत्रीय अधिकारी सह विद्यालय प्राचार्य डॉ एसके शर्मा ने महर्षि दयानंद और स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दोनों महर्षियों ने सामाजिक कुरीतियों पाखंड के विरुद्ध वैदिक संस्कृति के आधार पर भारत के पुनरुद्धार का जो अभियान शुरू किया था, हमें उसे पथ पर अग्रसर रहना चाहिए.
उन्होंने स्वामी को एक महान संत विचारक समाज सुधारक एवं शिक्षा प्रेमी कहा. उन्होंने आर्य समाज की स्थापना कर समाज में फैली कुरीतियों एवं शिक्षा को दूर करने का प्रयास किया. उनका मुख्य उद्देश्य जनता को ज्ञान और सत्य के प्रति जागरूक करना था. पराधीन भारत में दयानंद जी की भूमिका जाति प्रथा, अंधविश्वास जैसी बातों पर आर्य समाज के प्रहार का भी जिक्र किया और उनके बताए हुए आदर्शों पर चले तो आज देश और समाज का स्वरूप कुछ और होता. कार्यक्रम के दौरान सभी शिक्षक– शिक्षिकाएं तथा ऑफिस स्टाफ उपस्थित थे.
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