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पटना में विरोध मार्च के दौरान BJP नेता की मौत दिल की बीमारी से हुई, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ खुलासा

Patna: पटना जिला प्रशासन ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि पिछले हफ्ते बिहार विधानसभा तक निकाले गए मार्च के दौरान भाजपा नेता विजय सिंह की मौत दिल की बीमारी और उससे जुड़ी अन्य जटिलताओं के कारण हुई थी. अधिकारियों ने कहा था कि 13 जुलाई को पार्टी के जहानाबाद जिले के महासचिव विजय सिंह को बेहोशी की हालत में पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल लाया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी और उनके शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं मिले थे. भाजपा का दावा है कि सिंह की मौत लाठीचार्ज के कारण हुई. पार्टी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ ‘छेड़खानी’ करने का आरोप भी लगाया है. जिला प्रशासन ने बृहस्पतिवार रात एक बयान जारी कर कहा, ‘‘सिंह की मौत की सटीक वजह का पता लगाने के लिए संस्थान की ओर से मेडिकल बोर्ड गठित किया गया था. विस्तृत विश्लेषण के बाद बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि मौत दिल की बीमारी और उससे संबंधित अन्य जटिलताएं के कारण हुई थी.’’
बयान में यह भी कहा गया है कि सीसीटीवी फुटेज से स्पष्ट है कि सिंह दोपहर एक बजकर 22 मिनट से एक बजकर 27 मिनट के बीच छज्जू बाग इलाके में बेहोश हुए, जबकि लाठीचार्ज डाक बंगला क्रॉसिंग इलाके में हुआ. भाजपा ने मामले की उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच की मांग की है. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘विजय सिंह की मौत पुलिस लाठीचार्ज के कारण हुई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ छेड़खानी की गई है. हम पीएमसीएच द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट की उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच की मांग करते हैं.” सिन्हा ने आरोप लगाया कि सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट राज्य स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारियों के निर्देशों के आधार पर तैयार की गई है. उन्होंने कहा, ‘‘यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले वैशाली और लखीसराय में हुई दो हत्या के मामले में भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दिल की बीमारी को मौत की वजह बताया था.’’
सिन्हा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘‘पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह साफ है. भाजपा के आरोप बेबुनियाद हैं. भाजपा को सिंह की मौत का राजनीतिकरण बंद कर देना चाहिए. उनकी मौत से हम सब दुखी हैं.’’ राज्य सरकार की शिक्षक भर्ती नीति के खिलाफ आंदोलन के समर्थन में निकाला गया मार्च गांधी मैदान से शुरू होने के बाद विधानसभा परिसर से कुछ किलोमीटर दूर ही रोक दिया गया था. इस दौरान पुलिस ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लिया था, पानी की बौछारें की थीं और आंसू गैस के गोले दागे थे.
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