- सुदेश महतो ने दिया सिर्फ 40 हजार रुपया चंदा.
- कुल डोनेशन से अधिक आजसू का अनसिक्योर कर्ज.
Ranchi : हजारीबाग से भाजपा के विधायक प्रदीप प्रसाद एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने भूमि घोटाले में प्राथमिकी अभियुक्त बनाया है. प्रदीप प्रसाद के बारे में ताजा जानकारी मिली है कि उन्होंने आजसू पार्टी को 19.50 लाख रुपये का अनसिक्योर (बिना किसी गारंटी के) लोन दिया. इसका खुलासा आजसू पार्टी द्वारा चुनाव आयोग को दी गई जानकारी से हुआ है.
उल्लेखनीय है कि हजारीबाग में हुए भूमि घोटाले के प्रमुख आरोपी विनय सिंह (नेक्सजेन के मालिक) की जमीन रजिस्ट्री के मामले में एसीबी ने प्रदीप प्रसाद को अभियुक्त बनाया है. विनय सिंह की जमीन रजिस्ट्री में प्रदीप प्रसाद ही गवाह बने थे. रजिस्ट्री डीड में उनकी तस्वीर लगी है. एसीबी यह जांच कर रही है कि क्या प्रदीप प्रसाद ने खुद के नाम भी जमीन की रजिस्ट्री तो नहीं करायी थी.

हजारीाबाग से भाजपा विधायक प्रदीप प्रसाद. (फाईल फोटो)
इस बीच आजसू ने पार्टी को वर्ष 2023 में हुए आय-व्यय का जो ब्योरा चुनाव आयोग को दिया है, उसमें यह उल्लेख किया है कि पार्टी के पास कुल 84.52 लाख रुपया है. और पार्टी पर कुल 19.50 रुपये का अनसिक्योर लोन है. यह अनसिक्योर लोन प्रदीप प्रसाद से लिया गया है. यहां यह उल्लेख किया जाना जरुरी है कि जांच एजेंसियां अनसिक्योर लोन को संदेह के नजरिये से देखती है.
एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि आजसू एक राजनीतिक पार्टी है. आमतैर पर कर्ज व्यक्ति या कंपनी के द्वारा लिया-दिया जाता है. व्यक्ति और कंपनी कमाई करके कर्ज को चुकाती है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या कोई राजनीतिक दल भी लोन या अनसिक्योर लोन ले सकता है या नहीं? क्या कोई राजनीतिक पार्टी चंदे की रकम से लोन चुकायेगी?
सुदेश का चंदा सिर्फ 40 हजार

आजसू ने आयोग को दिये आय-व्यय के ब्योरे में पार्टी को डोनेशन देने वालों के नाम भी दर्ज है. इसमें एक तथ्य यह है कि पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो ने सिर्फ 40,100 रुपया का चंदा दिया है. उल्लेखनीय है कि सुदेश महतो कई करोड़ के मालिक हैं.
कुल डोनेशन से अधिक अनसिक्योर कर्ज
प्रदीप प्रसाद द्वारा दिया गया कर्ज पार्टी को मिले डोनेशन से ज्यादा है. पार्टी को डोनेशन के रूप में कुल 9.90 लाख रुपये मिले है. जबकि पार्टी सदस्यों की ओर से सहयोग के रूप में 1.41 लाख रुपये मिले हैं. जबकि अनसिक्योर लोन 19.50 लाख रुपये है. वित्तीय लेनदेन में बिना गारंटी के दिये जाने वाले कर्ज को संदेह की नजर से देखा जाता है.


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