Akshay Kumar Jha Ranchi: नये साल में हर किसी के पास अपने को बेहतर करने की चुनौती होती है. वो एक अदने के साथ-साथ बड़ी राजनीतिक पार्टी के पास भी होती है. विधानसभा चुनाव में आजसू को मिली बड़ी हार के बाद झारखंड में सक्रिय रूप से राजनीति में अभी तीन पार्टियां शामिल हैं. बीजेपी, कांग्रेस और जेएमएम. नया साल तीनों पार्टी के लिए चुनौती भरा हुआ है. चुनौती सरकार बनाने-बचाने से लेकर पार्टी को चलाने तक की है. जानते हैं किस पार्टी की क्या है चुनौती. इसे भी पढ़ें - RBI">https://lagatar.in/rbi-launches-digital-payment-index-know-what-is-its-specialty/14502/">RBI
ने शुरू किया डिजिटल पेमेंट इंडेक्स, जानें क्या है इसकी खासियत बीजेपीः विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से ही पार्टी बैकफुट पर है. कहने को तो पार्टी में हर पद पर कोई ना कोई बैठा हुआ है. लेकिन पार्टी की पूरी कमान किसी एक के पास नहीं है. जैसे पिछले पांच सालों में कमान रघुवर दास के पास थी. पार्टी के पास सबसे बड़ी चुनौती सदन में अपने नेता को साबित करने की है. चुनाव में पार्टी की हार से केंद्रिय नेतृत्व ने सबक लेते हुए पार्टी का चेहरा एक आदिवासी नेता को बनाना चाहा. लेकिन तकनीकी रूप से अभी तक पार्टी इसमें सफल नहीं हो पायी है और ऐसा लगता नहीं है कि बाबूलाल कभी भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में दिख सकेंगे. मामला सदन से लेकर कोर्ट तक में है. सत्ता और विपक्ष के बीच यह लड़ाई नाक की बन चुकी है. कांग्रेसः कहने को तो पार्टी ने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया. सत्ता में भी है. लेकिन पार्टी सूबे में मजबूत है,ये कहना सटीक नहीं होगा. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव राज्य में मंत्री हैं. लेकिन अंदरखाने में पार्टी के दूसरे पदाधिकारी उन्हें अध्यक्ष नहीं मानते. साथ ही कई बार पार्टी के अंदर एक पदाधिकारी एक पद देने की बात होते रहती है. पुख्ता सूत्र बताते हैं कि जल्द ही पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करने जा रही है. इस रेस में काफी नये और पुराने नाम सामने आ रहे हैं. लेकिन मुहर उसी के नाम पर लगने की संभावना जतायी जा रही है, जिसके पास दिल्ली तक के तार जुड़े हुए हो. प्रदेश प्रभारी के सामने सभी नतमस्तक हैं. प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद अध्यक्ष को प्रदेश में पार्टी की कमान कसकर संभालनी होगी. वरना समस्या जैसी अभी है वो ही बनी रह जाएगी. जेएमएमः फिलहाल झारखंड की सबसे मजबूत पार्टी झारखंड मुक्त मोर्चा को ही माना जा रहा है. और साथ में हेमंत सोरेन को प्रदेश का सबसे ताकतवर नेता भी. लेकिन सरकार बनने के बाद सबसे बड़ी चुनौती अपनी मौजूदा स्थिति को बनाये रखने की है. बीजेपी के निशाने पर सरकार है. हेमंत की सरकार बनी रहने के लिए पार्टी के विधायकों का विश्वास बेहद अहम है. अगर जेएमएम पार्टी का एक बड़ा हिस्सा एक साथ मिलकर पार्टी के खिलाफ बिगुल फुंकता है, तो सरकार के साथ पार्टी काफी मुसीबत में आ सकती है. ऐसे में पार्टी के पास अपनी यथावत स्थिति बनाये रखना सबसे बड़ी चुनौती है. इसे भी पढ़ें - कोरोना">https://lagatar.in/dry-run-of-corona-vaccination-vaccine-given-to-dr-vatsal-lal/14543/">कोरोना
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BJP को अपना नेता चाहिए, कांग्रेस को पार्टी संभालने वाला अध्यक्ष और JMM के पास स्थिर रहने की चुनौती
