रवींद्र राय, रवींद्र पांडेय, बड़कुंवर, शशिभूषण, तुबिद के बाद अब सुनील सोरेन की बारी !
सीता सोरेन के लिए सुनील सोरेन की तिलांजलि देगी भाजपा ?
Saran Sharan Mishra
Ranchi: भाजपा ने आयातित नेताओं के लिए अपने कई समर्पित नेताओं को कुर्बान कर दिया है. जिन नेताओं ने बूथ से लोकसभा स्तर तक संगठन को सींचा. संघर्ष कर अपनी पहचान बनाई और पार्टी को मजबूती दी वही नेता एक झटके में दरकिनार कर दिये गये. पूर्व सांसद रवींद्र राय, रवींद्र पांडेय, बड़कुंवर गगराई, शशिभूषण सामड और जेबी तुबीद जैसे कई ऐसे नेता हैं जिनकी तिलांजलि भाजपा ने आयातित नेताओं के लिए दे दी है. इन्हीं कुर्बान नेताओं की लिस्ट में जल्द ही दुमका विधायक सुनील सोरेन का नाम जुड़ सकता है. सोरेन परिवार की बड़ी बहू और जामा से विधायक सीता सोरेन झामुमो से नाराज होकर भाजपा में शामिल हो गई हैं. जाहिर है चुनाव से ठीक पहले सीता सोरेन लोकसभा चुनाव का टिकट मिलने के भरोसे पर ही भाजपा में शामिल हुई होंगी. सोरेन परिवार का किला ढाहने के लिए भाजपा उन्हें दुमका से चुनाव लड़वा सकती है, लेकिन भाजपा दुमका में वर्तमान सांसद सुनील सोरेन को टिकट दे चुकी है. अब भाजपा सीता की खातिर जेएमएम के गढ़ में सेंधमारी कर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को चुनाव हराने वाले सुनील सोरेन का टिकट काट कर सीता सोरेन को दे सकती है.
गीता ने बड़कुंवर, सामड और तुबीद की उम्मीदों पर फेरा पानी
भाजपा ने इससे पहले सिंहभूम में चुनाव लड़ने की तैयार कर रहे अपने तीन नेताओं (बड़कुंवर गगराई, शशिभूषण सामड, जेबी तुबीद) की कुर्बानी दी है. सिंहभूम की कांग्रेस विधायक गीता कोड़ा को पार्टी में शामिल कराके भाजपा ने इन तीनों नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. जेबी तुबीद सिंहभूम सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. सिंहभूम के पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुआ के निधन के बाद वे भाजपा से इस सीट के प्रबल दावेदार थे. वहीं सिंहभूम सीट से भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके बड़कुंवर गगराई भी 2024 में चुनाव लड़ने की उम्मीद लेकर 2 साल पहले वापस भाजपा में आये थे. चक्रधरपुर से झामुमो से विधायक रहे शशिभूषण सामड भी इसी उम्मीद से भाजपा आये थे, लेकिन उन्हें भी निराशा हाथ लगा.
चंद्रप्रकाश के लिए कुर्बान कर दिये गये रवींद्र पांडेय
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने गिरिडीह में आजसू की खातिर अपने दिग्गज नेता रवींद्र कुमार पांडेय की तिलांजलि दी थी. झामुमो और कांग्रेस के गढ़ गिरिडीह सीट पर भाजपा को पहली बार रवींद्र पांडेय ने ही जीत दिलाई थी. वे पांच बार गिरिडीह विधानसभा से भाजपा के सांसद रहे थे. 2019 में वे सीटिंग सांसद थे, लेकिन एनडीए गठबंधन के तहत भाजपा ने गिरिडीह लोकसभा सीट आजसू को दे दिया. भाजपा के इस फैसले से तो रवींद्र पांडेय का पॉलिटिकल करियर भी खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है.
अन्नपूर्णा को लाकर रवींद्र राय को कर दिया दरकिनार
2019 के लोकसभा चुनाव के समय भाजपा ने राजद से आयातित अन्नपूर्णा देवी के लिए कोडरमा के सीटिंग सांसद रवींद्र राय की तिलांजलि दी थी. रवींद्र राय एक समय भाजपा का बड़ा चेहरा थे. वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. राजधनवार सीट से विधायक रहे. 2014 में कोडरमा से भाजपा के सांसद बने. 2019 में भी वे टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अन्नपूर्णा देवी राजद छोड़ भाजपा में शामिल हो गईं और रवींद्र राय दरकिनार कर दिये गये.
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