NewDelhi : भारतीय थल सेना, वायुसेना, नौसेना हथियारों की कमी से जूझ रही है. यह दावा ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार 2014 में सत्ता में आने के बाद से पीएम पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा मेक इन इंडिया को तरजीह देना इसका कारण है. मोदी सरकार ने मोबाइल फोन से लेकर रक्षा क्षेत्र में हथियार बनाने पर पर जोर दिया. हालांकि इसका लक्ष्य देश में अधिक रोजगार पैदा करना और विदेशी मुद्रा को देश से बाहर जाने से रोकना था.
रिपोर्ट कहती है कि आठ साल बाद मिलिट्री हार्डवेयर का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक अभी भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय स्तर पर पर्याप्त हथियार नहीं बना पा रहा है. रिपोर्ट की मानें तो सरकारी नियम आयात की इजाजत नहीं देते.
इसे भी पढ़ें : ब्रिटेन : महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद चार्ल्स ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड सहित 14 अन्य क्षेत्रों के प्रमुख बने
पीएम मोदी की कोशिश देश को चीन और पाकिस्तान के खतरे के आगे कमजोर साबित कर रही है
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार भारत की रक्षा प्रणाली को देश में निर्मित करने की पीएम मोदी की कोशिश देश को चीन और पाकिस्तान के खतरे के आगे कमजोर साबित कर रही है. ब्लूमबर्ग ने यह दावा इस मामले से जुड़े अधिकारियों के हवाले से किया है. अधिकारियों के अनुसार भारत की आर्मी, इंडियन नेवी और एयरफोर्स पुराने पड़े हथियारों को बदलने के लिए जरूरी हथियार आयात नहीं कर पा रही है.
2026 तक भारत के पास हेलिकॉप्टर्स की कमी हो सकती है
एक तरह से यह चेतावनी है कि 2026 तक भारत के पास हेलिकॉप्टर्स की कमी हो सकती है. 2030 तक लड़ाकू विमानों की कमी भी हो सकती है. पीएम मोदी के कार्यक्रम के अनुसार 30 से 60 फीसदी तक कलपुर्जे को देश में बनाने हैं. और यह भी इस पर निर्भ है कि सैन्य खरीद कैसी है और इसे कहां से खरीदा जा रहा है. हालांकि पूर्ववर्ती सरकारों के समय ऐसी कोई सीमा निर्धारित नहीं थी. रिपोर्ट के अनुसार भारत ने रक्षा खरीद की लागत कम करने के लिए घरेलू स्तर पर निर्माण तंत्र का प्रयोग करना शुरू किया है.
ब्लूमबर्ग का मुख्यालय मिडटाउन मैनहट्टन, न्यूयॉर्क में है
बता दें कि ब्लूमबर्ग मूल्य, समय या वित्तीय डेटा, लेनदेन और विश्लेषण सहित समाचार, वैश्विक वित्तीय जानकारी प्रदान करने वाला एक निगम है. 1981 में स्थापित और इसका मुख्यालय मिडटाउन मैनहट्टन, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका में है. यह एक निजी निगम है जिसके मालिक एक अमीर मालिक हैं.