Ranchi : डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में आज Board of Studies (BoS) की बैठक आयोजित की गई जो विभागाध्यक्ष डॉ विनय भरत की अध्यक्षता में संपन्न हुई. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य FYUG English Programme हेतु नवीन पाठ्यक्रम का अनुमोदन था.
बैठक में बाह्य विशेषज्ञ के रूप में प्रो गौरी शंकर झा (पूर्व डीन, मानविकी संकाय एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, अंग्रेजी, रांची विश्वविद्यालय) और डॉ मयंक रंजन (केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड) उपस्थित रहे. बैठक से पूर्व दोनों विशेषज्ञों ने 2025–2029 बैच के फ्रेशर्स को संबोधित किया और उन्हें साहित्य तथा भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला.
प्रो गौरी शंकर झा ने छात्रों से कहा कि साहित्य केवल पुस्तक नहीं जीवन-दृष्टि है - यह समाज से जोड़ता है, सह-अनुभूति सिखाता है और हमें जगत को नए सिरे से रचने की प्रेरणा देता है.
डॉ मयंक रंजन ने छात्रों को भाषा-अध्ययन के महत्व पर बल देते हुए कहा विचारों की एकजुटता (Cohesiveness of Ideas) अत्यंत आवश्यक है. भाषा स्वयं एक सार्वभौमिक संकेत है - यह हमें बता देती है कि हम कहां गलती कर रहे हैं. यदि जीवन में आगे बढ़ना और टिकना है तो भाषा सीखना अनिवार्य है. इसका एक ही मंत्र है - निरंतर अभ्यास. अहंकार छोड़कर सीखें, और यह चिंता न करें कि लोग क्या कहेंगे.
नए पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा (IKS) के समेकित स्वरूप को विशेष रूप से शामिल किया गया है. इस पाठ्यक्रम में क्लासिकल साहित्य जैसे भरतमुनि की नाट्यशास्त्र (अध्यान 6 'रस'), आनंदवर्धन का ध्वन्यालोक (अध्यान 1-2), शूद्रक का मृच्छकटिक, कालिदास का अभिज्ञानशाकुंतलम्, वाल्मीकि की रामायण और व्यास की महाभारत (The Temptation of Karna) को तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य में पढ़ाया जाएगा.
इसके साथ ही Tribal and Dalit Literature of India पेपर में झारखंड के आदिवासी रचनाकारों की कृतियां शामिल की गई हैं जिनमें जेसिंटा केरकेट्टा की The National Anthem is Playing, Care, The River, The Mountain and the Bazaar और हंसदा सोवेंद्र शेखर की कृतियां The Adivasi Will Not Dance एवं Adivasi Can Dance प्रमुख हैं. साथ ही दलित साहित्य के महत्त्वपूर्ण पाठ जैसे हिरा बंसोड़े की Bosom Friend और Sanskriti भी पाठ्यक्रम में सम्मिलित हैं.
नए पाठ्यक्रम की विशेषताएं
पाठ्यक्रम में Value-Added Courses (VACs)—संचार, डिजिटल/अनुवाद लेखन, प्रस्तुति-शैली, रचनात्मक लेखन—और Interdisciplinary Courses (IDCs)—मीडिया स्टडीज़, समाजशास्त्र, इतिहास, पर्यावरण मानविकी—भी जोड़े गए हैं. इनसे शिक्षा अधिक रोजगारपरक और बहुविषयी बनेगी.
बैठक में डॉ विनय भरत के अतिरिक्त डॉ पीयूष बाला, डॉ दिव्या, सुमित मिंज, कर्मा कुमार, डॉ सारिका चांद और ई एल एल विभाग की शिक्षिका रुचिका केरकेट्टा, रश्मि कुमारी तथा अदिति सिद्धांत भी उपस्थित रहे.
अंत में डॉ विनय भरत ने कहा कि यह संशोधित पाठ्यक्रम शैक्षणिक उत्कृष्टता, समावेशन और सामाजिक चेतना का संतुलित प्रतिरूप है, जिसमें साहित्य अध्ययन के साथ जीवन-मूल्यों का भी संवर्धन होता है.
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