Bokaro : झारखंडी भाषा संघर्ष समिति ने क्षेत्रीय भाषा में भोजपुरी व मगही को शामिल करने का विरोध 2 जनवरी को तीन रैलियां निकालकर की. तीनों रैलियां शहर के अलग-अलग जगहों से निकली तथा नया मोड़ पहुंचकर आपस में मिल गई. रैली का नेतृत्व कर रहे सचिन महतो ने कहा कि लंबी लड़ाई के बाद झारखंड अलग राज्य बना. हेमंत सरकार ने भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषा में शामिल कर झारखंडियों की भावना से खिलवाड़ किया है. उन्होंने कहा कि झारखंड की भाषा और संस्कृति अलग है, जल, जमीन, जंगल इस राज्य की पहचान है. उन्होंने अविलंब इस नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग सरकार से की है. नोटिफिकेशन वापस नहीं लेने पर व्यापक आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है. हाल ही में हेमंत सरकार ने बोकारो एवं धनबाद जिले में नियुक्तियों में इन दोनों भाषाओं को मान्यता दी है. यह भी पढ़ें : बोकारो">https://lagatar.in/bokaro-those-who-do-not-wear-masks-are-not-well/">बोकारो
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बोकारो : क्षेत्रीय भाषा में भोजपुरी व मगही को शामिल करने पर फूटा गुस्सा

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