Bokaro: बोकारो के पत्रकार व लेखक दीपक सवाल की 8वीं पुस्तक ‘एक और अयोध्या… अयोध्या पहाड़ ‘का विमोचन शुक्रवार को मुख्य अतिथि बोकारो डीसी राजेश सिंह ने समाहरणालय के सभागार में किया. इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि यह लेखक का एक अच्छा प्रयास है. इस तरह की पुस्तकें व जानकारी लोगों को कहीं न कहीं उस स्थल की ओर आकर्षित करेगी. कहा कि ऐसे और भी कई स्थल हैं, जिसमें पर्यटन की दृष्टिकोण से काफी क्षमता है. उनके लिए यह पुस्तक मार्गदर्शन का कार्य करेगी. उपायुक्त में लेखक को बधाई देते हुए उम्मीद जताई कि ऐसी और भी पुस्तकें लिखेंगे, जिसका लाभ लोगों को मिल सकेगा.
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अयोध्या पहाड़ पर केंद्रित है पुस्तक
पुस्तक के लेखक दीपक सवाल ने बताया कि यह पुस्तक झारखंड व बंगाल की सीमा पर स्थित पुरुलिया जिला के अयोध्या पहाड़ पर केंद्रित है. उन्होंने बताया कि अयोध्या पहाड़ हाल के एक दशक में पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरा है. विशाल भूभाग में फैला यह पहाड़ अपने आंचल में प्राकृतिक, धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विरासत की अनेक विशेषताओं को समेट रखा है. यहां की खासियत यह है कि पर्यटकों को यहां हर दो कदम की दूरी पर कुछ नया, कुछ रोचक और कुछ अद्भुत देखने को मिलता है.
इसकी एक और विशेषता यह है कि इस पहाड़ पर लगभग 92 छोटे-बड़े गांव बसे हैं और सभी पूर्णतः आदिवासी बहुल गांव हैं. यह स्थल जनजातियों की मूल संस्कृति का अद्भुत और बेजोड़ नमूना है. इन सभी गांवों की जीवन शैली, समाज संरचना, सांस्कृतिक मूल्य, या यूं कह लें कि पूरी संस्कृति आदिवासियत का जीवंत उदाहरण बना हुआ है.
बुद्ध पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला शिकार उत्सव यहां का मूल उत्सव है. हर वर्ष करीब ढाई-तीन लाख लोग इसमें शामिल होते हैं. लेखक ने बताया कि इस लघु पर्वतममाला की विशेषता यह है कि यहां कुछ दिन का समय व्यतीत करने के लिए सारा कुछ मौजूद है. डैम, पहाड़, झरने, घाटियां, मंदिर समेत वह सब-कुछ, जो एक प्रकृति प्रेमी अथवा पर्यटक को चाहिए. पहाड़ पर 7 डैम बने हैं. इसमें पन बिजली घर भी स्थापित है. यही कारण है कि यह पर्यटन का विशेष केंद्र बन चुका है.
बताया कि अयोध्या पहाड़ पर कोई पुस्तक नहीं होने के कारण पर्यटकों की परेशानी को देखते हुए यह पुस्तक तैयार की गई है. मौके पर एसपी चंदन झा, डीडीसी जयकिशोर प्रसाद, अपर नगर आयुक्त शशि प्रकाश झा व जिले के पुलिस व प्रशासन के विभिन्न अधिकारियों के अलावा विस्थापित नेता गुलाब चंद्र, समाजसेवी संतोष महतो आदि मौजूद थे. पुतस्क का प्रकाशन भाग्यश्री पब्लिकेशन, रांची ने किया है.
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