- 28 अगस्त को बोकारो के Upper Division Clerk से बरामद हुआ था 51 लाख रुपया नकद.
- 3 सितंबर को बोकारो डीसी ने क्लर्क को DMF के काम से हटाने का आदेश जारी किया.
- 12 सितंबर को डीसी ने एक लाख से अधिक रकम लेकर चलने को लेकर आदेश जारी किया.
- बोकारो डीसी के आदेश की वजह से कई सवाल उठने लगे हैं, सारे कर्मचारी संदेहास्पद बने.
Ranchi: बोकारो के उपायुक्त अजय नाथ झा ने सरकारी कर्मचारियों द्वारा एक लाख रुपये से अधिक नकद राशि लेकर चलने के लिए अपर समाहर्ता से प्रमाण लेने का आदेश दिया है. राज्य गठन के बाद सरकार के किसी भी स्तर के अधिकारी द्वारा जारी किया जाने वाला यह पहला और अनोखा आदेश है. इसमें सरकारी कर्मचारी को एक लाख से अधिक नकद राशि लेकर चलने का प्रमाण पत्र देने के लिए अपर समाहर्ता को नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया गया है. उपायुक्त के इस आदेश ने केंद्रीय जांच एजेंसियों की नजर में सरकारी कर्मचारियों की गतिविधियों को संदेह के दायरे में फंसा दिया है.
जानकारी के मुताबिक 28 अगस्त की रात बोकारो के Upper division clerk (UDC) को गोला पुलिस ने नकद 51 लाख रुपये के साथ पकड़ा था. UDC राजेश कुमार पांडेय द्वारा नकद राशि के सिलसिले में संतोषप्रद जवाब नहीं देने की वजह से पुलिस ने क्लर्क के पास 51 लाख रुपये मिलने की सूचना आयकर विभाग को दी. आयकर विभाग ने प्रारंभिक जांच के दौरान UDC ने अपने पास मिली राशि का संबंध जमीन की बिक्री से होने का दावा किया था. लेकिन आयकर विभाग ने क्लर्क के दावे को संदेहास्पद माना और 51 लाख रुपये जब्त कर लिया. आयकर विभाग को राशि के वैध स्रोत की जांच के बाद आयकर अधिनियम में निहित प्रावधानों के तहत कार्रवाई करना है.
पूरे प्रकरण में उभरे सवाल
- क्या UDC के पास से जब्त राशि का संबंध किसी भी तरह DMFT से हैं. अगर नहीं तो उसे DMFT के काम से हटाने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
- सरकारी काम काज में नक़द लेनदेन का नियम नहीं है. सरकारी काम में भुगतान के तीन तरीके हैं. इसमें चेक, ड्राफ्ट और DBT से भुगतान की प्रक्रिया शामिल है. इस स्थिति में सरकारी कर्मचारी को सरकारी काम के लिए एक लाख रुपये नकद लेकर चलने की क्या जरूरत है ?
- अगर कोई सरकारी कर्मचारी अपनी नाजायज कमाई की लॉंड्रिंग करने के बाद बैंकिंग चैनल से एक लाख रुपये से अधिक निकाल कर कही जाना चाहता हो तो अपर समाहर्ता राशि की वैधता का प्रमाण पत्र कैसे देंगे ?
- जब भी कोई नकद राशि लेकर चलता है तो उसके स्रोत की वैधता प्रमाणित करने की जिम्मेवारी संबंधित व्यक्ति की होती है. यह जिम्मेवारी अपर समाहर्ता को किस कानून के तहत दी गयी है.
- कोई व्यक्ति निजी कार्यों के लिए कितना नकद लेकर चले, यह उसका निजी मामला है. क्या सरकार को किसी के निजी मामले में दख़ल देने का अधिकार है ?
- क्या जिले के सरकारी कर्मचारी भारी नकदी लेकर चलते हैं ? अगर नहीं तो इस तरह का आदेश जारी करने की क्या जरूरत है ?
क्लर्क के पास से 51 लाख रुपये मिलने और आयकर की जांच शुरू होने के बाद बोकारो के उपायुक्त ने दो आदेश जारी किये. तीन सितंबर 2025 को उपायुक्त द्वारा जारी आदेश से UDC को DMFT के काम से हटाया गया. साथ ही उसके पास से मिली नकद राशि के सिलसिले में उप विकास आयुक्त को विभागीय स्तर पर जांच करने का आदेश दिया.
बोकारो के उपायुक्त ने 12 सितंबर 2025 को दूसरा आदेश जारी किया गया. इसमें दो बिंदु है. पहला यह कि किसी सरकारी कर्मचारी को नकद एक लाख रुपये से अधिक लेकर चलने की स्थिति में अपर समाहर्ता से प्रमाण पत्र लेना होगा. दूसरा यह कि अपर समाहर्ता को सरकारी कर्मचारी द्वारा नकद एक लाख रुपये से अधिक लेकर चलने की स्थिति में जांच कर प्रमाण पत्र देने के लिए अपर समाहर्ता को नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया. उपायुक्त के इन दोनों आदेशों से कई तरह के सवालों को जन्म दिया है जिससे केंद्रीय जांच एजेंसियों की नजर में सरकारी कर्मचारियों की गतिविधियां संदेहास्पद हो गयी हैं.
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