Dinesh Kumar Pandey
Bokaro : आपने ऐसे कई चमत्कारों के बारे में सुना होगा जो आज तक रहस्यमय है. नामी गिरामी वैज्ञानकों को भी उस रहस्य का पता नहीं चला है. वैसा ही रहस्यमय जल का स्रोत बोकारो जिले के एक सुदूरवर्ती गांव भवानी ग्राम में है. बोकारो मुख्यालय से इस गांव की दूरी 50 किलोमीटर है. यह गांव डुमरी विधानसभा क्षेत्र में है. गांव में पहाड़ी पत्थरों के भीतर से मीठा पानी निकलता है. ऐसा भी नहीं का इन पत्थरों के अंदर से मीठा पानी कभी-कभार निकलता है. मीठा जल निकलने का सिलसिला सालों भर जारी रहता है. मीठा पानी कहां से आता है इस रहस्य की जानकारी किसी को नहीं है?
यहां बसने वाले ग्रामीण इसे दैवीय चमत्कार मानते हैं. यहां की प्राकृतिक छटा भी निराली है. दूर-दूर तक यहां पहाड़ और जंगल ही दिखाई देते हैं. इस इलाके में रहने वाले बुजुर्ग ग्रामीण मीठे जल को पौराणिक जल स्रोत करार देते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कई पीढ़ी से लोग मीठे जल स्रोत को देखते आ रहे हैं. गांव के ही कुछ लोगों ने इस जगह पर मंदिर का निर्माण कर गोमुख गंगा धाम के नाम से इस जगह का नामकरण किया है. जल स्रोत के मुहाने पर गाय की प्रतिमा बनाई है. जिसके मुख से अनवरत जल की धारा बहती रहती है. मंदिर के सामने निचले हिस्से में कलकल करती नदी भी बह रही है, जिसे अंबाझरना नदी कहा जाता है.
विटामिन व मिनरल से भरपूर है पानी, पीने से रोग होता है दूर
मंदिर के दोनों तरफ पहाड़ियां है तथा पूरा इलाका जंगल से पटा है. लोग इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ी से लगभग 50 से 60 फीट नीचे पगडंडियों के सहारे उतरते हैं. मंदिर तक पहुंचने के लिए नदी पार करना पड़ता है. यहां के एक ग्रामीण मूरत महतो ने बताया कि वह बचपन से इस मीठे जल के स्त्रोत को देखते आ रहे हैं. उनका विश्वास है कि इस मीठे पानी को पीकर सभी रोग दूर हो जाते हैं. यह पानी विटामिन और मिनरल से भरपूर है. आसपास के ग्रामीण इस पवित्र जल का इस्तेमाल पूजा-पाठ में भी करते हैं. इस जल की तुलना यहां गंगाजल से की जाती है.
स्थानीय ग्रामीण हीरालाल महतो और अनिल कुमार महतो ने बताया कि इस जल की खासियत है गर्मी के दिनों में यह घड़े के पानी की तरह ठंडी होती है तथा ठंढ़ के दिनों में गर्म रहती है. गर्म होने के वजह से ठंढ़ में आसपास के लोग खूब नहाते हैं. एक महिला ग्रामीण मीना देवी ने बताया कि मीठे जल का उपयोग यहां के हर घरों में होता है. खाना बनाने से लेकर पेय जल में इसका इस्तेमाल किया जाता है. आसपास के ग्रामीणों को इस जगह के प्रति आस्था है. यहां का मीठा जल पीने दूर-दराज के लोग भी आते हैं. मकर संक्रांति मैं यहां मेला भी लगता है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि राज्य सरकार चाहे तो इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सकती है. इसका फायदा इस जगह के साथ-साथ यहां के ग्रामीणों को होगा.
Edited by Baidyanath Jha
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