हफ्ते की टीआरपी रेस में गोपी बहू को पहला तो अनुपमा को मिला तीसरा स्थान
संचिकाओं में सिमटा हकीकत
डिजिटल इंडिया संबंधी केंद्र सरकार की योजनाओं को सफलता पूर्वक सुदूर इलाके ग्राउंड लेवल तक लाने को लेकर इन्हें डिजिगांव की संज्ञा दी गयी है. अर्थात उक्त दोनों डिजिटल गांवों में वाई-फाई, आधार सीडिंग, टेलीमेडिसीन, डिजि-पे सहित अन्य सभी डिजिटल सुविधायें शत-प्रतिशत लोगों तक पहुँच गई है. लेकिन सच्चाई इसके उलटा है. खर्च तो करोड़ों हुए लेकिन सुविधाएं संचिकाओं तक सीमित रह गये. गांव की न तो व्यवस्था बदली व ना ही सुविधा मिली.एक डिजिटल इंडिया के बोर्ड लगे जो आंधी तूफान के भेंट चढ़ गये. तत्कालीन डीसी महिमापत रे ने सभी सुविधाएं मिलने की घोषणा कर दी, चार साल बीतने के बाद कुरा पंचायत में जाकर कथित डिजिटल गांव का रियलिटी टेस्ट हमारे संवाददाता दिनेश कुमार पांडेय ने किया, तो हकीकत कुछ और ही सामने आई. टेस्ट में ये बात सामने आई कि जिले के अधिकारी से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री तक पीएम मोदी को धोखा देने में जुटे हुए हैं. इसे भी पढ़ें -हजारीबाग">https://lagatar.in/hazaribagh-adivasi-minor-accused-of-rape-by-teacher-case-registered-in-police-station/12338/">हजारीबाग: आदिवासी नाबालिग ने शिक्षक पर लगाया दुष्कर्म का आरोप, थाने में मामला दर्ज
2017 में घोषित हुआ था डीजी गांव
बता दें कि इन दो पंचायतों को वर्ष 2017 में डिजिटल गांव घोषित किये जाने के बाद आम लोगों में ये चर्चा बनी हुई थी कि आखिर दोनों पंचायत को ये अवसर मिला तो कैसे? जब सवाल उठा तो इसकी पड़ताल भी जरुरी थी. हमारे संवाददाता सबसे पहले कुरा पंचायत के कुरा गांव पहुंचे. रास्ते में बिजली के खम्भों पर डिजिटल गांव की होडिंग्स लगे मिले. गांव में पंचायत भवन से पहले केंद्रीय मंत्री की घोषणा से पूर्व यहां पोल के सहारे बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाये गये थे. गांव घुसने से पहले डिजिटल गांव का एहसास तो जरुर हो रहा था. लेकिन पंचायत भवन में स्थित प्रज्ञा केंद्र में ताला लटका मिला. ग्रामीणों ने बताया की बोर्ड मे जो डीजीगांव मे आने वाली सुविधा का जिक्र था उसका बोर्ड में छपाई के अलावा एक प्रतिशत भी इस गांव मे नहीं है. यह सिर्फ यहां के अधिकारियों द्वारा सरकार से अवार्ड लेने के लिए खेल रचा गया है. उन्होने बताया गांव में मात्र बामुश्किल 2 से 4 घंटे बिजली आती है. प्रज्ञा केंद्र खुलते ही नहीं है. 2 किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ता हैं. अन्य कोई ऐसी विशेष सुविधा गांव को मुहैया नहीं कराई गई है. या यूं कह लें कि गांव को डिजी गांव तो घोषित कर दिया गया है लेकिन इस गांव में डिजिटल के नाम पर डिजिटल का पहला अक्षर डी भी देखने को नहीं मिला इसे भी पढ़ें -पलामू">https://lagatar.in/palamu-polices-biggest-action-against-animal-smugglers-more-than-20-smugglers-arrested-including-16-containers/12335/">पलामू: पशु तस्करों के खिलाफ पुलिस की सबसे बड़ी कार्रवाई, 16 कंटेनर समेत 20 से अधिक तस्कर गिरफ्तार इसे भी पढ़ें -गोड्डा">https://lagatar.in/godda-police-recovered-a-stolen-bike-a-month-ago-thief-arrested/12330/">गोड्डा
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