Bokaro : झारखंड राज्य को अस्तित्व में आए 22 वर्ष हो चुके हैं. राज्य में सत्ता परिवर्तित हुई लेकिन व्यवस्था में परिवर्तन नहीं आया. आज तक किसी भी सरकार ने झारखंड में न स्थानीय नीति बनाई और न ही नियोजन नीति बनाई. विस्थापन और आरक्षण नीति भी नहीं बन पाई. राज्य चारागाह बन गया. उक्त बातें झारखंड आंदोलनकारी नेता सह आजसू संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा ने 3 फरवरी को झारखंड आंदोलनकारी कार्यालय में कही. वे धनबाद जाने के क्रम में यहां रूके और झारखंड आंदोलनकारियों एवं स्थानीय ग्रामीणों से मुलाकात की. हर प्रदेश की अपनी भाषा, संस्कृति व पहचान उन्होंने कहा कि झारखंड पुनर्निर्माण का आगाज है. धनबाद व बोकारो में भाषा-संस्कृति के मुद्दे पर जो चिंगारी जली है उसे बुझने नहीं देना है. हर प्रदेश की अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान है. झारखंड में 22 वर्षों के दौरान पांच चुनाव हुए, 11 बार सरकार बनी और तीन बार राष्ट्रपति शासन लागू हुई. कोई भी पार्टी झारखंडी जनभावनाओं के अनुरूप खरा नहीं उतरी. जिस जनता ने जनप्रतिनिधियों को नायक बनाकर बिधानसभा भेजा वही आज खलनायक बनकर झारखंडी जनभावना के साथ खिलवाड़ कर रही है. उन्होंने कहा कि पहले जल, जंगल और जमीन लूटा अब भाषा और संस्कृति पर हमला किया गया है. इस स्थिति को देखते हुए झारखंड की जनता तीसरा विकल्प तलाश रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड में संविधान के अनुच्छेद 345, 346, 347 के तहत खोरठा, कुड़माली, संथाली, मुंडारी, हो, कुड़ुख, खड़िया, नागपुरी, एवं पंचपरगनिया को अविलंब राजभाषा का दर्जा मिले. गैर झारखंडी भाषाओं का अतिक्रमण बंद हो. 1932 के खतियान के आधार पर या संविधान के अनुच्छेद 16(3) के तहत जिले के अंतिम सर्वे के आधार पर आंध्रप्रदेश के लिए बिशेष उपबंध अनुच्छेद 371(डी) के तर्ज पर स्थानीय नीति बने. संविधान के अनुच्छेद 16(4) के तहत एसटी 30 प्रतिशत, एससी 10 प्रतिशत, ओबीसी 27 प्रतिशत कुल 67 प्रतिशत आरक्षण मिले. झारखंड आंदोलनकारीयों को चिन्हित कर अविलंब पेंशन योजना शुरू हो. मौके पर पार्वती चरण महतो, कुमोद महतो, अरूण महतो, अश्विनी महतो, लक्ष्मण महतो, रूपलाल महतो किशन महतो, लालू महतो, कंचन महतो, गंगाधर महतो, सोमनाथ शेखर मिश्रा, सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे. यह">https://lagatar.in/wp-admin/post.php?post=234775&action=edit">यह
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