: नाबालिग से दुष्कर्म, पंचायत का शर्मनाक फरमान, FIR नहीं कराने का निर्देश
हेमंत शिकरवार पर हुए हमले की निष्पक्ष जांच की मांग
अधिवक्ताओं के कार्य बहिष्कार से राज्य भार मे न्यायिक कार्यो की रफ्तार लगभग थम गई है. झारखण्ड स्टेट बार काउंसिल के प्रवक्ता और रांची ज़िला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय विद्रोही ने अधिवक्ता हेमंत शिकरवार पर हुए हमले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि एक के बाद एक अधिवक्ता हिंसा के शिकार हो रहे हैं और ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. राज्य में वकीलों की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू नहीं होना इन हमलों के पीछे एक बड़ी वजह है. अगर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू नहीं होगा तो वकीलों के साथ हिंसकघटनायें होती रहेंगी. इसलिए राज्य के सभी वकीलों को एकजुट होकर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की लड़ाई को अंतिम अंजाम तक लड़ना होगा. इसे भी पढ़ें - बजट">https://lagatar.in/budget-2022-23-30-percent-tax-on-cryptocurrencies-no-change-in-income-tax-slab-cut-in-corporate-tax/">बजट2022-23 : क्रिप्टोकरेंसी पर 30 फीसदी टैक्स, इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं , कॉरपोरेट टैक्स में कटौती
हेमंत शिकरवार के साथ हज़ारीबाग में मारपीट हुई है
बता दें कि शनिवार को स्टेट बार काउंसिल के सदस्य हेमंत शिकरवार के साथ हज़ारीबाग में मारपीट हुई है. जिसमें वे घायल हुए हैं. पुरे प्रकरण के पीछे की मुख्य वजह भूमि से संबंधित विवाद बताया जा रहा है. इस घटना के बाद रविवार को काउंसिल ने यह निर्णय लिया था कि झारखंड के सभी अधिवक्ता 1 फरवरी को न्यायिक कार्य से अलग रहेंगे एवं आगे काले रिबन पहनकर अपना विरोध जतायेंगे. इसे भी पढ़ें - फेसबुक">https://lagatar.in/facebook-removed-one-crore-93-lakh-objectionable-posts-google-and-instagram-also-raced-showing-the-effect-of-it-law/">फेसबुकने हटाये एक करोड़ 93 लाख आपत्तिजनक पोस्ट, गूगल और इंस्टाग्राम भी हुए रेस, दिखा आईटी कानून का असर [wpse_comments_template]

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