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Ranchi : हजारीबाग के बहुचर्चित ढेंगा गोलीकांड मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में हुई. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय द्विवेदी की कोर्ट में हुई. सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय द्विवेदी ने होम सेक्रेटरी को सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने होम सेक्रेटरी को 8 जुलाई को अदालत के समक्ष हाजिर होने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता मंटू सोनी की तरफ से अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता ने कोर्ट में पक्ष रखा. पढ़ें – हिंसा व बवाल के बीच अग्निपथ योजना को लेकर अहम खबर, 24 जून से भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जायेगी
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सरकार के रवैये पर कोर्ट ने जाहिर की नाराजगी
रिट संख्या 127/2021 जो मंटू सोनी के द्वारा दाखिल की गई थी. प्रार्थी के मुताबिक पुलिस ने इन्हें गोली मारी थी. जिसके बाद उन्होंने पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया, लेकिन उनकी FIR दर्ज नहीं की गई और उल्टे उनके ऊपर ही केस दर्ज कर दिया. प्रार्थी के अधिवक्ता के मुताबिक़ सरकार की ओर से बार बार इस मामले में समय मांगा जा रहा था. सरकार के रवैये पर कोर्ट ने नाराजगी भी ज़ाहिर की है. हाईकोर्ट में मंटू सोनी की तरफ से अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता ने कोर्ट में यह कहा था, कि मंटू सोनी पीड़ित है,पुलिस ने उसे अभियुक्त बना दिया है. मंटू सोनी गोली से घायल हुए थे. हजारीबाग सदर अस्पताल में इलाज कराने के दौरान पुलिस ने उसे बड़कागांव थाना कांड संख्या 167/15 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
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मंटू सोनी व अन्य घायल हुए थे
पुलिस केस से लेकर कोर्ट में दिए चार्जशीट तक पुलिस ने मंटू सोनी के गण शॉट से घायल होने और उसके बयान का जिक्र तक नही किया है. विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में भी पुलिस ने मंटू सोनी के घायल होने से इनकार कर दिया था. बाद में एक अन्य सवाल में पुलिस ने विधानसभा में स्वीकार किया था कि उक्त घटना में मंटू सोनी व अन्य घायल हुए थे. विधानसभा में सरकार के द्वारा विरोधाभाषी जवाब पर पुलिस ने हाईकोर्ट में कोई जवाब नही दिया.मंटू सोनी द्वारा जेल से लिखे पत्र के आधार पर निचली अदालत द्वारा पुलिस को मामला दर्ज करने के आदेश देने के एक साल बाद बड़कागांव कांड संख्या 214/16 दर्ज किए जाने के आरोप पर भी पुलिस ने कोई जवाब नही दिया है.
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बड़कागांव थाना में मामला दर्ज हुआ था
मंटू सोनी के आवेदन पर बड़कागांव थाना में दर्ज कांड संख्या 214/16 , कांड संख्या 167/15 में मंटू सोनी के खिलाफ एएसआई ओमप्रकाश को अनुसंधानकर्ता बनाए जाने और तत्कालीन एसडीपीओ अनिल सिंह द्वारा गण शॉट इंज्युरी के सबूत और कांड संख्या 167/15 के तथ्यों को मिलान नही करते हुए मनमर्जी से नियम विरुद्ध मिस्टेक ऑफ फैट्स बताते हुए अभियुक्तों को रिहा किए जाने की कोर्ट में अनुशंसा किए जाने के आरोप पर पुलिस ने हाईकोर्ट में कोई जवाब नही दिया है. पुलिस की तरफ से हाईकोर्ट में बड़कागांव इंस्पेक्टर श्याम चंद्र सिंह ने हलफनामा दायर किया है.
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