Ranchi: जिस समाज में 100-200 रूपये के लिए लोग लाठी निकाल लेते हैं. दुकानदार 100 रूपये के लिए ग्राहकों से लड़ता है. सर्विसिंग सेंटर वाला तरह-तरह का चार्ज ले लेता है. बिल्डर सीमेंट चुरा लेता है. उसी समाज में कुछ धन्ना सेठों का करीब 350 करोड़ रूपये लेकर खुद को दिवालिया बता दिया, पर रूपया देने वाला सामने नहीं आ रहा. क्योंकि अधिकांश के रूपये काली कमाई के हैं. बिजनेस की भाषा में कच्चा बिल वाला कहते हैं. सरकारी भाषा में रिश्वत वाला रूपया.
लगातार.इन के पास कुछ नाम आये हैं. जिन्होंने झारखंड के सबसे बड़े फंड मैनेजर पर विश्वास करके करोड़ों रुपये दिये. जो अब लगभग डूब गया है. उनमें बिल्डर, रांची के बड़े नामचीन कारोबारी और एक निजी कंपनी में काम करने वाला एमडी शामिल है.
एजेंटों में सबसे बड़ा नाम करण है
सूत्रों के मुताबिक, जिनके करोड़ों रूपये डूब गये हैं, उनमें बिल्डर अग्रवाल जी, गाड़ी बेचने वाले पोद्दार जी, ब्यूरोक्रेट्स का टैक्स फाइलिंग करने वाले केजरीवाल जी, एक प्राईवेट कंपनी के अधिकारी (कुछ दिन पहले फंड मैनेजर की कंपनी में भी डायरेक्टर बन गये थे), मेन रोड में कपड़ा बेचने वाले जैन जी, बिल्डर सरावगी जी शामिल हैं. इसके अलावा कुछ ब्यूरोक्रेट्स के भी पैसे डूबे हैं, जिन्होंने किसी सीए या दूसरे एजेंट के जरिये पैसे लगाये थे.
एजेंटों में सबसे बड़ा नाम “करण” है. जो कोरोना के आने से पहले से ही मास्क लगा कर घूमते थे. इनमें से सभी ने फंड मैनेजर पर विश्वास कर 10 से 50 करोड़ रुपये तक दिये. लेकिन अब यह डूब गया है. शायद ही कुछ रूपये निकल पाये. फंड मैनेजर भी अब झारखंड से ज्यादा कोलकाता में रहना पसंद कर रहा है.
बहरहाल, लगातार.इन पर 6 मई को “चर्चा गरम है : रांची के धन्ना सेठों के 350 करोड़ डूबे, झारखंड-बंगाल का सबसे बड़ा फंड मैनेजर हुआ कंगाल” शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई खबर में रांची के कई लोगों ने कई तरह की सूचनाएं दी है. जिसे हम अगली कड़ी में प्रकाशित करेंगे.
अगली कड़ी में पढ़ें : 28 रूपया को 70 रूपया बनाने के खेल में सब फंसे