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टेंडर मैनेज करने के लिए भवन निर्माण ने अपनाया अनोखा तरीका, Tender Value छिपाया

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Ranchi : राज्य गठन के बाद से यहां टेंडर मैनेज करने के लिए अलग-अलग तरीका अपनाया जाता रहा है. इन तरीकों का इस्तेमाल कर मनपसंद लोगों को टेंडर दिया जाता रहा है. अब भवन निर्माण विभाग ने इसके लिए बिल्कुल अलग और अनोखा तरीका अपनाया है. इसके तहत प्रकाशित किये जाने वाले टेंडर में काम का Estimated Cost/ Tender Value का उल्लेख नहीं किया जाता है. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गयी है. इसमें भवन निर्माण सचि सहित सहित अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है.

 

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भवन निर्माण प्रमंडल-1 द्वारा प्रकाशित टेंडर में लागत का उल्लेख नहीं है.

 

जानकारी के मुताबिक किसी काम के लिए जारी टेंडर में काम के नाम के साथ Estimated Cost/Tender Value का उल्लेख किया जाता है. इससे टेंडर में हिस्सा लेने वालों को यह जानकारी मिलती है कि संबंधित काम का लागत मूल्य सरकार ने कितना निर्धरित किया है. इस ब्योरे के आधार पर टेंडर में हिस्सा लेने वाले नफा-नुकसान का आकलन कर अपना प्रस्ताव पेश करते हैं. इसमें इस का उल्लेख किया जाता है कि वह Estimated Cost/ Tender Value  से कितना ज्यादा या कम में काम करने के लिए तैयार है. 

 

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पथ निर्माण विभाग द्वारा निकले गये टेंडर में लागत का उल्लेख किया गया है.

 

ताजा जानकारी यह है कि भवन निर्माण विभाग द्वारा जो टेंडर निकाला जा रहा है, उसमें Estimated Cost/Tender Value का उल्लेख नहीं किया जा रहा है. विभाग के सक्षम अधिकारियों द्वारा Estimated Cost/Tender Value की जानकारी उसी को दी जाती है, जिसे काम देना चाहते हैं. पिछले दिनों भवन निर्माण विभाग के प्रमंडल-1 ने इस तरह का टेंडर प्रकाशित किया. इसमें काम का उल्लेख तो है लेकिन Estimated Cost/Tender Value का उल्लेख नहीं किया गया है. Estimated Cost/Tender Value के कॉलम में 00 लिख दिया गया है.

 

इससे पहले तक मनपसंद लोगों का काम देने के लिए टेंडर मैनेज करने के दूसरे तरीके अपनाये जाते रहे हैं. इसमें समूह बनाकर टेंडर डालना, अपना रेट सबसे कम दिखाने के लिए Dummy Bidder का सहारा लेना, टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने के बाद काम से इनकार करने जैसे कई तरीके अपनाये जाते रहे हैं. सरकार ने टेंडर मैनेज करने की घटना को नियंत्रित करने के लिए Offline Tender को बंद कर Online Tender की प्रक्रिया शुरू की. प्रारंभिक दौर में छह महीने तक एक साथ दोनों ही प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दी गयी थी. लेकिन वर्षों तक दोनों ही प्रक्रिया को एक साथ जारी रखा गया. 

 

बाद में सरकार ने सख्ती करते हुए Offline Tender को पूरी तरह बंद करने का आदेश जारी किया. Online tender में समूह बना कर टेंडर डालने के दौरान संस्थान के लोग सुनियोजित तरीके से Estimated Cost/Tender Value से अधिक Rate पर काम करने का प्रस्ताव देते हैं. जिसे टेंडर लेना होता है वह L-1 घोषित होने के लिए दूसरो से कम Rate पर काम करने का दावा पेश करता है. Dummy Bidder के सहारे लेने के दौरान इनका Earnest money वही जमा करता है जिसे टेंडर लेना होता है. इस पर काबू पाने के लिए टेंडर में हिस्सा लेने वालों के बैंक खातों के माध्यम से Earnest money जमा करने का नियम लागू किया गया. लेकिन यह नियम पूरी तरह कारगर साबित नहीं हुआ.

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