LagatarDesk : शारदीय नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना है. जिसकी वजह से उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है. मां शेरनी की सवारी करती हैं. माता का शरीर सोने के समान चमकता है. उनकी 10 भुजाएं हैं. उनकी चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार,और कमंडल है. वहीं, पांचवा हाथ वर मुद्रा में है. वहीं मां की अन्य भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला हैं और पांचवा हाथ अभय मुद्रा में है. इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की है. इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरूप की उपासना करने से साहस में वृद्धि होती है. (पढ़ें, न डरूंगा, न झुकूंगा : हेमंत, अब रिम्स में ही आनुवांशिक बीमारियों का भी चल जाएगा पता, हमास के बाद क्या ईरान से होगा युद्ध?, कापासारा कोलियरी में धंसी चाल, दो की मौत समेत कई अहम खबरें पढ़ें अपने प्रिय अखबार शुभम संदेश में)
ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा
नवरात्रि में तीसरे दिन सुबह उठकर स्नान करें. फिर सबसे पहले चौकी पर साफ वस्त्र पीत बिछाकर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा को स्थापित करें. मां को गंगाजल, दूध, दही, घी और शहद से स्नान कराने के बाद वस्त्र, हल्दी, सिंदूर, पुष्प, चंदन, रोली, मिष्ठान और फल चढ़ायें. मां चंद्रघंटा को रामदाना का भोग लगाना चाहिए. इसके अलावा शहद और दूध या उससे बनी चीजों का भी भोग लगा सकते हैं. पूजा के बाद ब्राह्मण को दूध दान देने का भी मान्यता है. इस दिन सिंदूर लगाने का भी परंपरा है. माना जाता है कि इन चीजों का दान करने से मां चंद्रघंटा खुश होती हैं और व्यक्ति के सभी दुखों का नाश करती हैं.
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भूरे या गोल्डन रंग के कपड़े पहने, आराधना से सांसारिक कष्टों से मिलती है मुक्ति
देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए. मां को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है. इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है. मां चंद्रघंटा का पूजन करने से सारी बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं. इनकी उपासना करने से मन को शांति भी मिलती है. मां चंद्रघंटा की कृपा से ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही सुखी दाम्पत्य जीवन मिलता है. मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक पराक्रमी व निर्भय हो जाता है. मां चंद्रघंटा प्रेतबाधा से भी रक्षा करती है.
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इन मंत्रों का करें जाप
- या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥ - अगर आप ऐश्वर्य की प्राप्ति करना चाहते हैं तो चंदन के माले पर ‘ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः, शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सा न किं जनैः’ का मंत्र पढ़ सकते हैं.
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम. पूर्ण कीजो मेरे सभी काम. चंद्र समान तुम शीतल दाती. चंद्र तेज किरणों में समाती. क्रोध को शांत करने वाली. मीठे बोल सिखाने वाली. मन की मालक मन भाती हो. चंद्र घंटा तुम वरदाती हो. सुंदर भाव को लाने वाली. हर संकट मे बचाने वाली. हर बुधवार जो तुझे ध्याये. श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं. मूर्ति चंद्र आकार बनाएं. सन्मुख घी की ज्योति जलाएं. शीश झुका कहे मन की बाता. पूर्ण आस करो जगदाता. कांचीपुर स्थान तुम्हारा. करनाटिका में मान तुम्हारा. नाम तेरा रटूं महारानी. भक्त की रक्षा करो भवानी.
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