एजी की रिपोर्ट के मुताबिक 25 और 26 फरवरी 2017 को आयोजित रजरप्पा महोत्सव के दौरान वित्तीय अनियमितता हुई है. एजेंसी के बिलों से स्रोत पर टैक्स की कटौती नहीं की गई, जिससे सरकार को 10.71 लाख रुपये का नुकसान हुआ. ऑडिट के दौरान एजेंसी द्वारा पेश किए गए वाउचरों की नमूना-जांच से पता चला कि जिन्हें कार होने का दावा किया गया था, वास्तव में दोपहिया थे.
Ranchi : 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए राज्य वित्त लेखा परीक्षा प्रतिवेदन विधानसभा के पटल पर रखा गया. ऑडिट रिपोर्ट में यह सामने आया है कि झारखंड सरकार सरकारी धन की निगरानी में असफल रही है. ऑडिट के दौरान यह पाया गया कि झारखंड पर्यटन विकास निगम (जेटीडीसी) रांची को विभिन्न योजनाओं के लिए अप्रैल 2017 से मार्च 2021 तक 147.26 करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन पर्यटन विभाग के निदेशक को खर्च की रिपोर्ट और कार्यों की फिजिकल स्टेट्स की जानकारी नहीं थी.
शेयरों की प्राप्ति नहीं होने से 25 करोड़ का अवरोध
रिपोर्ट बताती है कि भारतीय पर्यटन और बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड से रांची अशोक बिहार होटल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के शेयरों की खरीद दिसंबर 2020 में तय की गई थी, जिसके लिए पर्यटन, कला, संस्कृति विभाग को मार्च 2021 में 25 करोड़ रुपए आवंटित किये गये थे. पर्यटन विभाग के आग्रह पर जेएसबीसीएल ने पीएनबी चेक नंबर 027093 दिनांक 28.12.2020 से आईटीडीसी को 9.43 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया. पर्यटन विभाग ने सितंबर 2021 में जेएसबीसीएल को 9.43 करोड़ रुपये लौटाए और शेष 15.57 करोड़ रुपये पीएल खाते में रखे गए. 9.43 करोड़ रुपये का शेयर मूल्य भी पर्यटन विभाग को हस्तांतरित नहीं किया गया था और आईटीडीसी के साथ अपने फंड को अवरुद्ध करके संपत्ति का अधिग्रहण करने में विफल रहा.
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25-26 फरवरी 2017 को हुए रजरप्पा महोत्सव में भी वित्तीय अनियमितता
एजी की रिपोर्ट के मुताबिक 25 और 26 फरवरी 2017 को आयोजित रजरप्पा महोत्सव के दौरान वित्तीय अनियमितता हुई है. रजरप्पा महोत्सव का आयोजन चितरपुर के सीसीएल रजरप्पा स्टेडियम ग्राउंड में हुआ था. इवेंट मैनेजमेंट के लिए रांची के कटहल मोड़ स्थित स्वेंट्स ब्रांड सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को फरवरी 2017 में 50 लाख रुपये दिये गये थे. 30 लाख का भुगतान एजेंसी को किया गया. इसके अलावा क्राउड फंडिंग के जरिये आयोजकों ने 40 लाख रुपये जुटाए. स्वीकृति पत्र के मुताबिक आपूर्तिकर्ता एजेंसी के बिल से सेवा कर, वैट, आईटी आदि की कटौती की जानी थी. काटी गई राशि को उचित लेखा शीर्ष में प्रेषित भी किया जाना था. यह देखा गया कि एजेंसी के बिलों से स्रोत पर टैक्स की कटौती नहीं की गई, जिससे सरकार को 10.71 लाख रुपये का नुकसान हुआ. ऑडिट के दौरान एजेंसी द्वारा पेश किए गए वाउचरों की नमूना-जांच से पता चला कि जिन्हें कार होने का दावा किया गया था, वास्तव में दोपहिया थे.
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