Jamshedpur : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोमवार को भेजे गए एक पत्र में कैट ने एफडीआई नीति और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम/नियम (फेमा) की अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा खुले रूप से उल्लंघन करने के मुद्दे पर इन दोनों कम्पनियों के व्यापार मॉड्यूल की जांच के लिए तत्काल सीधे हस्तक्षेप का आग्रह किया है. कैट ने खेद व्यक्त किया है कि विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों के पास विगत लम्बे समय से अनेक शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन संबंधित अधिकारियों द्वारा अभी तक कोई महत्वपूर्ण कार्रवाई नहीं की गई है और इस तरह ये कंपनियां अभी भी सरकार की नाक के नीचे कानून के खुले उल्लंघन में लगी हुई हैं. अमेजन और फ्लिपकार्ट दोनों की वर्तमान में चल रही फेस्टिवल सेल सरकार की एफडीआई नीति की शर्तों के घोर उल्लंघन का जीवंत उदाहरण है.
सरकार ने इन कंपनियों को कानून उल्लंघन की दी छूट
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि देश का व्यापारिक समुदाय इस नतीजे पर पहुंचा है कि सरकार ने इन कंपनियों को कानून का उल्लंघन जारी रखने की छूट दी है और यह भी माना जा रहा है कि सरकार के कुछ अधिकारियों का उन्हें संरक्षण प्राप्त है. यही कारण है कि सरकार द्वारा बनाए जाने वाले नियम और नीति पिछले दो वर्ष से बनाए जाने में ही लंबित हैं और सरकारी विभागों द्वारा की जा रही जांच कछुए की गति से चल रही है, जो सरकारी अधिकारियों पर कहावत कि "रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था", चरितार्थ हो रही है. सरकारी विभाग पीएम के निर्धारित मापदंडों के विपरीत
खंडेलवाल और सोंथालिया ने कहा कि देश भर में न केवल व्यापारियों बल्कि आम जनता में व्याप्त इस धारणा को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानून के किसी भी उल्लंघन के लिए शून्य सहिष्णुता वाली मानसिकता और नीति रखते हैं. देश में छोटे व्यवसायों के व्यापार में वृद्धि के लिए एक चैंपियन के रूप में कार्य करते हैं तो फिर क्यों भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय की वर्तमान निराशाजनक तस्वीर पूरी तरह से अलग है और सरकारी विभाग प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित मापदंडों और दिशा निर्देशों के विपरीत है. 2016 से ये कंपनियां नियमों की उड़ा रही धज्जियां
कैट ने यह भी कहा कि 2016 से ये कंपनियां कानूनों और नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं, लेकिन लगभग 5 साल बीत जाने के बाद भी विभिन्न अधिकारियों को साक्ष्य के साथ कई शिकायतें करने के बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. 2016 से सब कुछ परामर्श मोड में या मसौदा तैयार करने के चरण में है, जो इन कंपनियों को ई-कॉमर्स व्यवसाय में अपनी नापाक गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति दे रहा है. पूंजी डंपिंग के लिए एफडीआई का कर रहा है दुरुपयोग
सुरेश सोंथालिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए पत्र में कहा है कि अमेजन इन्वेंट्री-आधारित खुदरा/ई-कॉमर्स को नियंत्रित करके एफडीआई नीति, फेमा के उल्लंघन सहित अवैध व्यापार प्रथाओं में लिप्त है, जो स्पष्ट रूप से कानून/नीति या नियम में प्रतिबंधित है. इसके अलावा, अमेजन अपने कई सहयोगी/संबद्ध संस्थाओं जैसे "क्लाउडटेल" और "एपेरियो" के माध्यम से लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना और गहरी छूट के माध्यम से पूंजी डंपिंग के लिए एफडीआई का दुरुपयोग कर रहा है, ये दोनों ही अमेजन प्लेटफॉर्म पर पसंदीदा विक्रेता के रूप में भी काम करते हैं. दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि हाल ही में अनेक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि अमेजन ने कानूनी धन के दुरुपयोग पर एक आंतरिक जांच शुरू कर दी है, जिसमें कहा गया कि लीगल फीस के जरिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी है. पीसीए और पीएमएलए व अन्य कानून के तहत होनी चाहिए जांच
कैट ने कहा कि ऐमज़ान ने एक स्पष्टीकरण जारी कर इस बात को ख़ारिज किया लेकिन ऐमज़ान के अपने स्वयं के द्वारा विभिन्न विभागों में जमा किए गए दस्तावेज़ों के साथ ऐमज़ान का स्पष्टीकरण मेल ही नहीं खाता । उदाहरण के तौर पर केवल दो साल में कानूनी और व्यावसायिक शुल्क के लिए 5262 करोड़ रुपये का भुगतान दिखाता है जो कुल बिक्री का लगभग 8% है। जबकि ऐमज़ान ने अपने स्पष्टीकरण में इस राशि को केवल 52 करोड़ बताया है ।इतना बड़ा खर्च भ्रस्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) और देश के अन्य कानूनों के तहत तत्काल जांच को मानता है। सुरेश सोंथालिया ने कहा कि चूंकि उक्त कथित आरोप में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की बात कही गई है इसलिए यह मुद्दा देश की गरिमा से जुड़ा है, इसलिए संबंधित विभागों एवं एजेंसियों को इस गंभीर मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई दिखाई नहीं दे रही है. इसके चलते देश के व्यपारी यह समझने को मजबूर हैं कि एजेंसियों के लिए कुछ भी नहीं हुआ है या "सब चलता है" रवैया और मानसिकता देश में प्रचलित है और यही कारण है कि कैट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग की है. [wpse_comments_template]
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