Ranchi : झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की कार्यप्रणाली को लेकर राज्यभर के अभ्यर्थियों में असंतोष देखा जा रहा है. हाल ही में आयोग द्वारा जारी अधिसूचना में झारखंड एलिजिबिलिटी टेस्ट (JET) परीक्षा का क्षेत्रीय भाषा हो, कुड़माली, मुंडारी, खड़िया, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया सिलेबस सार्वजनिक नहीं किया गया, जिससे अभ्यर्थियों को स्पष्ट दिशा नहीं मिल रही है.
अन्य राज्यों को देखें तो BPSC (बिहार), UPPSC (उत्तर प्रदेश) और MPPSC (मध्यप्रदेश) अपने सभी विज्ञापन के साथ विस्तृत सिलेबस और प्रश्नपत्र संरचना प्रकाशित करते हैं, जिससे उम्मीदवारों को तैयारी में स्पष्ट मार्गदर्शन मिलता है. इसके विपरीत JPSC की इस रवैये ने अभ्यर्थियों में चिंता और असमंजस बढ़ा दिया है.
पहले भी सामने आई है अपारदर्शिता
यह पहली बार नहीं है जब JPSC पर पारदर्शिता को लेकर सवाल उठे हों. हाल ही में आयोजित बाल विकास परियोजना पदाधिकारी परीक्षा में भी आयोग ने प्रश्नपत्र पैटर्न पहले से सार्वजनिक नहीं किया था, जिसके कारण हजारों अभ्यर्थी बिना स्पष्ट दिशा-निर्देश के परीक्षा में शामिल हुए.
यही स्थिति सहायक वन संरक्षक (ACF) और वन क्षेत्र पदाधिकारी (FRO) की आगामी परीक्षाओं में भी देखने को मिल रही है, जिनके परीक्षा पैटर्न और प्रश्नपत्र संरचना अब तक जारी नहीं किए गए हैं.
अभ्यर्थियों की बढ़ती चिंता
JET, ACF, FRO और CDPO जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जिनका सिलेबस और पैटर्न अभ्यर्थियों की तैयारी की नींव होता है. लेकिन आयोग की चुप्पी से
- अभ्यर्थियों में भ्रम और अनिश्चितता बनी हुई है.
- कई छात्र मानसिक तनाव और असमंजस की स्थिति में हैं.
- कोचिंग संस्थानों और शिक्षकों को तैयारी की दिशा तय करने में कठिनाई हो रही है.
- समान अवसर का सिद्धांत प्रभावित हो रहा है, क्योंकि कुछ लोगों तक अनौपचारिक जानकारी पहुंच रही है, जबकि अधिकांश अभ्यर्थी वंचित हैं.
नीति और प्रक्रिया की अनदेखी
किसी भी परीक्षा का विज्ञापन केवल आवेदन आमंत्रण नहीं होता, बल्कि यह परीक्षा पद्धति की आधिकारिक सूचना भी है. सिलेबस और पैटर्न जारी न करना समान अवसर के संवैधानिक सिद्धांत का भी हनन है.
क्या है अभ्यर्थियों की प्रमुख मांगें
- JET, ACF और FRO परीक्षाओं का विस्तृत सिलेबस और प्रश्न-पत्र पैटर्न शीघ्र जारी किया जाए.
- भविष्य की सभी परीक्षाओं के विज्ञापन के साथ सिलेबस प्रकाशित करने का नियम बनाया जाए.
- परीक्षा प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए.
- आयोग की वेबसाइट पर पुराने प्रश्नपत्र और मॉडल पेपर उपलब्ध कराए जाएं.
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