Ranchi : भारत सरकार की कंपनी एनटीपीसी द्वारा पंकरी बरवाडीह परियोजना क्षेत्र में नियम, कानून और शर्तों का उल्लंघन कर लगातार अवैध कार्य किये जाने का मामला सामने आ रहा था. अब एनटीपीसी केरेडारी कोल ब्लॉक के लिए कन्वेयर बेल्ट बना रही एलएंडटी द्वारा भी वन कानूनों का उल्लंघन करने का मामला सामने आया है. एनटीपीसी एलएंडटी द्वारा पांडु में अधिसूचित वन क्षेत्र में अवैध रूप से कच्चा सड़क बनाये जाने का खुलासा हुआ है. इस संबंध में वन विभाग ने एनटीपीसी के एजीएम सुनील कुमार,एलएंडटी के प्रबंधक परमहंस,अभय कुमार और विद्या प्रसाद पर भारतीय वन अधिनियम 1927 के बिहार वन संशोधन अधिनियम 1989 की धारा 33 (1) (ख)(ग) धारा 63 (ग) के तहत मामला दर्ज किया है.
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वन सीमा के अंदर वन भूमि पर कच्चा सड़क का निर्माण किया जा रहा
वन विभाग ने शिकायत में लिखा है कि वन गश्ती के दौरान केरेडारी के अधिसूचित वन क्षेत्र के पांडु जंगल-झाड़ी साफ कर वन सीमा के अंदर वन भूमि पर कच्चा सड़क बना था. उसमें चार पहिए वाहनों के आने-जाने का निशान बना हुआ था. स्थानीय ग्रामीणों और वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति से पता करने पर एलएंडटी द्वारा केरेडारी कोल ब्लॉक के लिए कन्वेयर बेल्ट बनाये जाने की जानकारी प्राप्त हुई. ज्ञात हो कि एनटीपीसी द्वारा अवैध कार्य करने का यह पहला मामला नहीं है. इसके पूर्व एनटीपीसी के एमडीओ त्रिवेणी-सैनिक माईनिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा राजाआहार और लबनिया तालाब में ओबी डंप किये जाने के शिकायत के बाद हुई. जांच में जिला मत्स्य विभाग ने शिकायत की पुष्टि करते हुए बड़कागांव के सीओ को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था. वहीं एनटीपीसी के एमडीओ त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दुमुहानी नाला को नष्ट कर अवैध रूप से सौ एकड़ एरिया में अवैध खनन किये जाने की पुष्टि हो चुकी है. केंद्र सरकार ने एनटीपीसी द्वारा किये गये नुकसान के आकलन और कार्रवाई के लिए चार सदस्यीय एक उच्चस्तरीय कमिटी गठित कर दी गई है.
वन विभाग के द्वारा केस करने में दोहरा रवैया भी साबित हुआ
एनटीपीसी द्वारा वन नियमों-कानूनों के उल्लंघन का यह पहला मामला नहीं है और न ही वन विभाग द्वारा यह पहली कार्रवाई है. ऐसे कई बार हो चुका है, लेकिन इस मामले में जो अलग हुए है वह यह है कि पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना द्वारा भी वन भूमि में पीसीसी सड़क बनाया जा रहा था. उसमें एनटीपीसी के जीएम शुभम श्रीवास्तव को भी अभियुक्त बनाया गया, लेकिन इस मामले में केरेडारी कोल ब्लॉक के जीएम पर मामला दर्ज नहीं हुआ बल्कि एजीएम पर मामला दर्ज किया गया है. इससे यह सवाल उठता है कि एक ही तरह के मामलों में अलग-अलग पद के अधिकारियों और अलग-अलग धाराओं में केस क्यों हुआ.
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