Ranchi : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में फिलहाल 11 म्यूकरमाइकोसिस ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं. रिम्स क्रिटिकल केयर के इंचार्ज डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि जिस हिसाब से म्यूकरमाइकोसिस पांव पसार रहा है, उस हिसाब से मई के अंत तक रिम्स में 40 से 45 मतलब अभी के चार गुना मरीज भर्ती हो जाएंगे. डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि म्यूकरमाइकोसिस के जितने मरीज सालभर में मिलते थे, उतने मरीज 10 दिन में ही मिल गए हैं. पूरे देशभर में करीब 10 हजार से अधिक मरीज मिल चुके हैं. यह अलार्मिंग सिचुएशन है. प्रबंधन को इस हिसाब से तैयारी कर लेनी चाहिए. रिम्स में फिलहाल 11 मरीज भर्ती हैं. ओल्ड ट्रॉमा सेंटर के अलावा डेंगू वार्ड को भी ब्लैक फंगस वार्ड के रूप में तैयार किया गया है.
एम्फोटेरेसिन बी मिलने तक आइट्राकोनाजोल का किया जाएगा प्रयोग
राज्य में ब्लैक फंगस के मरीज मिल रहे हैं, पर इसमें प्रयोग होने वाली दवा एम्फोटेरेसिन बी, लिपोसोमल सहित अन्य जरूरी दवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है. जब तक यह दवा नहीं मिलती, तब तक आइट्राकोनाजोल को विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा. डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि इसको लेकर गाइडलाइन जारी कर दी गई है और शुक्रवार से ही मरीजों को यह दवा दी जा रही है.
डॉ भट्टाचार्य ने बताया कि यह दवा आसानी से बाजार में उपलब्ध है और काफी कम दाम की है. इसे नस में या टेबलेट के जरिए भी दिया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस दवा से म्यूकर के कुछ मामलों में फायदा पाया गया है. सभी स्पिसिस में इसका रिसर्च नहीं हुआ है. पर इसका फायदा होगा. डॉ पीके भट्टाचार्या ने बताया कि फंगल इंफेक्शन स्टडी फोरम ट्रस्ट के लोगों के केस के आधार पर रिसर्च कर इस दवा को विकल्प के तौर पर प्रयोग करने की सलाह दी है. इस ट्रस्ट में भारतवर्ष के जाने-माने माइक्रोबायोलॉजिस्ट, क्रिटिकल केयर के डॉक्टर और इंफेक्शन डिजीज के डॉक्टर थे. डॉ पीके भट्टाचार्या भी इसके एक ट्रस्टी हैं.