Lucknow : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में जातिगत भेदभाव खत्म करने को लेकर बड़ा कदम उठाया है. खबरों के अनुसार इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को देखते हुए पुलिस रिकॉर्ड्स और सार्वजनिक स्थलों से जाति के उल्लेख पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
#WATCH | Lucknow: On Allahabad High Court's directive to end caste-based discrimination and its implementation by the state government, Uttar Pradesh Minister Asim Arun says, "I welcome the High Court's decision and the order issued by the Uttar Pradesh government in this regard.… https://t.co/j9Q7XKL4iX pic.twitter.com/N7oBRCK7Ng
— ANI (@ANI) September 22, 2025
इस संबंध में कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो आदि में जाति का उल्लेख हटाया जाये. माता-पिता के नाम जोड़े जायें. जाति आधारित रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है.
दीपक कुमार के आदेश में कहा गया है कि सर्वसमावेशी, संवैधानिक मूल्यों के अनुकूल व्यवस्था, उत्तर प्रदेश सरकार की घोषित नीति है. इसलिए जरूरी है कि समाज में व्याप्त जातिगत विभेदकारी प्रवृत्तियों के उन्मूलन के दृष्टिगत पुलिस अभिलेखों एवं सार्वजनिक संकेतों में जाति आधारित अंकन एवं प्रदर्शन रोका जाये. साथ ही जातीय प्रदर्शनों द्वारा जातीय संघर्ष प्रेरित करने वाले तत्वों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही की जाये.
क्रिमिनल मिस. अप्लीकेशन 482 संख्या 31545/2024 प्रवीण छेत्री बनाम उप्र राज्य व अन्य में उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा आदेश दिनांकित 16 सितंबर 2025 के माध्यम से पुलिस के अभिलेखों में अभियुक्तों की जाति का उल्लेख न किये जाने को कहा गया है.
वाहनों, सार्वजनिक स्थानों पर साइन बोर्ड्स, सोशल मीडिया आदि में जातीय महिमामंडन से संबंधित निर्देश जारी किये गये है. सोशल मीडिया और इंटरनेट मीडिया पर जाति का महिमामंडन या घृणा फैलाने वाले कंटेंट के खिलाफ
आईटी नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी.
थानों के नोटिस बोर्ड, वाहनों और साइनबोर्ड्स से जातीय संकेत और नारे हटाये जाने के आदेश दिये गये हैं. जाति आधारित रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. सोशल मीडिया पर सख्त निगरानी रखने का आदेश दिया गया है. आदेश के पालन के लिए SOP और पुलिस नियमावली में संशोधन किया जा रहा है. हालांकि SC/ST एक्ट जैसे मामलों में छूट रहेगी.
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस संबंध में कहा कि यह न्यायालय का आदेश है. हम लोग जातिवाद के पक्ष में नहीं हैं. हम लोग सबका साथ सबका विकास की सोच रखने वाले हैं. आरोप लगाया कि कांग्रेस और सपा वाले जातिवाद को बढ़ावा देते हैं. राजद और इंडी गठबंधन के लोग जातिवाद करते हैं. हम राष्ट्रवादी लोग हैं.
जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश और राज्य सरकार द्वारा इसका क्रियान्वयन किये जाने ती उत्तर प्रदेश के मंत्री असीम अरुण ने स्वागत किया.
कहा, मैं उच्च न्यायालय के निर्णय और इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी आदेश का स्वागत करता हूं. यह दृष्टिकोण भारत को आगे ले जायेगा. हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि समाज में कोई भेदभाव न हो. उच्च न्यायालय का निर्णय सराहनीय है.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.
Leave a Comment