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बिहार में उस जाति को एसटी में शामिल किया गया था
प्रार्थी ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 1956 में एकीकृत बिहार में उस जाति को एसटी में शामिल किया गया था. जिस जाति से वे आते हैं. लेकिन 1 अप्रैल को स्टेट स्क्रूटनी कमिटी ने बिना किसी गवाह और ठोस साक्ष्य के उनके जाति प्रमाण पत्र को ग़लत क़रार दिया जो ग़लत है. इसके साथ ही अपनी याचिका ने उन्होंने यह भी कहा है कि जिस व्यक्ति का जाति प्रमाण पत्र जांच प्रतिवेदन के आधार पर हुआ है, उसकी जाति प्रणाम पत्र की जांच स्क्रूटनी कामिटी नहीं कर सकती. इसे भी पढ़ें - कांग्रेस">https://lagatar.in/in-the-congress-parliamentary-party-meeting-sonia-gandhi-said-modi-government-is-destroying-the-socio-communal-harmony-of-the-country/">कांग्रेससंसदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा, देश का सामाजिक-सांप्रदायिक सौहार्द्र खत्म कर रही है मोदी सरकार [wpse_comments_template]

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