- सफेद धुएं के साथ नया अध्याय शुरू
- रोमन कैथोलिक के नये पोप बने रॉबर्ट प्रीवोस्ट
- संभालेंगे शिकागो से संत पेत्रुस की गद्दी
- पोप लियो XIV का ऐतिहासिक उदय
alt="" width="600" height="400" /> जब पोप चुना गया तो सिस्टिन चैपल की चिमनी से सफेद धुएं का गुबार उठा. सफेद धुआं निकलने के करीब 70 मिनट बाद सेंट पीटर्स बैसिलिका की मध्य बालकनी से नये पोप दिखे. इस दौरान फ्रांसीसी कार्डिनल डोमिनिक माम्बरटी ने ऐलान किया कि हैबेमुस पापम यानी हमारे पास एक पोप है. सेंट ऑगस्टीन धर्मसंघ से शुरू की आध्यात्मिक यात्रा कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट का जन्म 14 सितंबर 1955 को शिकागो में हुआ था. प्रीवोस्ट ने सेंट ऑगस्टीन धर्मसंघ से अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की थी. 1982 में पुरोहित अभिषेक प्राप्त करने के बाद उन्होंने रोम से कैनन कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की, जो उनके गहन धार्मिक व बौद्धिक प्रशिक्षण का प्रमाण है. सेमिनरी शिक्षक से न्यायिक पादरी तक की भूमिका निभाईं रॉबर्ट प्रीवोस्ट की धार्मिक यात्रा केवल वैचारिक ज्ञान तक सीमित नहीं रही. उन्होंने पेरू के चुलुकानास, इक्विटोस और अपुरिमक जैसे दूरस्थ और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में मिशनरी सेवा दी. उन्होंने सेमिनरी शिक्षक, गठन निर्देशक और न्यायिक पादरी तक की भूमिका निभाईं. ऑगस्टीनियन प्रमुख से वेटिकन के प्रीफेक्ट तक सफर रॉबर्ट प्रीवोस्ट 2001 से 2013 तक ऑगस्टीनियन ऑर्डर के प्रायर जनरल रहे. 2015 में जब उन्हें चिकलायो का बिशप नियुक्त किया गया, तो यह नियुक्ति उनके जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुई, जिसने उन्हें सीधे वेटिकन के शीर्ष नेतृत्व की ओर अग्रसर किया. प्रीवोस्ट को 2019 में पादरी मंडल और 2020 में बिशप मंडल में वेटिकन पदभार सौंपा गया था. 2023 में उन्हें कार्डिनल बनाया गया. साथ ही उन्हें बिशपों के लिए डिकास्टरी जैसे वेटिकन के महत्वपूर्ण विभाग का प्रीफेक्ट नियुक्त किया गया. विश्वभर से मिली प्रार्थनाओं की शक्ति पोप के चयन से पूर्व, कार्डिनल मंडल ने समस्त विश्वासियों से पवित्र आत्मा की प्रेरणा के लिए प्रार्थना का आह्वान किया और वह आह्वान अब विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक विरासत के नएयेअध्याय में बदल चुका है. पोप लियो XIV के साथ नये युग की शुरुआत पोप लियो XIV के रूप में रॉबर्ट प्रीवोस्ट का उदय न केवल अमेरिका के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह कैथोलिक चर्च के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत भी है. उनके नेतृत्व में चर्च के भीतर आध्यात्मिकता, सेवा और वैश्विक संवाद की नई दिशा की उम्मीद की जा रही है. कैसे चुना जाता है पोप, जानिए प्रक्रिया पोप का चुनाव एक गुप्त प्रक्रिया है, जिसे पापल कॉन्क्लेव कहा जाता है. इसमें 80 वर्ष से कम आयु वाले कार्डिनल्स को मतदान का अधिकार होता है. इस बार कॉन्क्लेव में 133 कार्डिनल्स ने भाग लिया, जो प्रेरितिक संविधान के अनुसार वैध संख्या है. सिस्टिन चैपल में कार्डिनल्स एकांतवास में रहकर गुप्त मतदान करते हैं. मतदान तब तक चलता है, जब तक कोई उम्मीदवार दो-तिहाई बहुमत नहीं पा जाता. सफेद और काले धुएं का रहस्य जब किसी बैलेटिंग राउंड में कोई फैसला नहीं होता, तो वोटिंग पेपर को जला कर चिमनी से काला धुआं छोड़ा जाता है. जब किसी को दो-तिहाई समर्थन मिल जाता है और वह उम्मीदवार इसे स्वीकार कर लेता है, तब जली हुई पर्चियों से सफेद धुआं निकलता है, जो दुनियाभर के लिए यह संकेत होता है कि नया पोप चुन लिया गया है.
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