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मौत पर जश्न मनाना इसे ही कहते हैं

Vijay Shankar Singh
यह ट्वीट कोरोना के संक्रमण की चिंता से मुक्त प्रधानमंत्री की मानसिकता का एक सुबूत है. यह आदमी भीड़ देख कर चिंतित नहीं है और न ही इस बात पर चिंतित है कि, भीड़ में कोई कोविड प्रोटोकॉल का पालन हो रहा है या नहीं. इस हर्षोदगार में न तो श्मशान में लगातार.. जलती चिताएं दिख रही हैं, न जलने की आस में मरने के बाद भी लाइनों में खड़े मुर्दे, न अस्पतालों में प्राण वायु ऑक्सीजन की कमी से जूझते और मरते मरीज, न ही लाखों लाख रुपये खर्च कर भी बीमार का शव लिए उनके हताश और टूटे हुए परिजन.

इन्हें दिख रहा है वोटों की फसल और कुछ नहीं. प्रधानमंत्री जी यदि यह सामान्यकाल होता तो, किसी को आप की रैलियों पर ऐतराज नहीं होता. लेकिन यह बेहद असामान्यकाल है. 70 सालों में आज तक ऐसी स्वास्थ्य सम्बंधित दुर्व्यवस्था और मौत का मंजर नहीं दिखा. भाजपा के अन्य नेता जो सरकार में नहीं हैं वे चुनाव प्रचार कर सकते हैं, और उन्हें करना भी चाहिए.

पर एक प्रधानमंत्री को ऐसी विपदा में, जो किसी एक राज्य के एक शहर के कुछ मुहल्लों में न होकर पूरे देश मे एक साथ आ गयी हो, के संदर्भ में, न केवल अपने विषेधज्ञों के साथ बल्कि देश के सभी मुख्यमंत्री और विपक्ष के साथ इस समस्या के समाधान के लिये निरन्तर सम्पर्क में बने रहकर राजधानी में ही रहना चाहिए. पीएम की सक्रियता का देशभर के आपदा प्रबंधन में लगे लोगों पर, मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है.

यह शर्मनाक और निंदनीय ट्वीट है, आप का प्रधानमंत्री जी.
डिस्केल्मर : ये लेखक के निजी विचार हैं.

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