Search

सोहराय पर्व की धूम, गौ माता की हुई पूजा-अर्चना

Ranchi : लोक आस्था और परंपरा से जुड़ा यह पर्व आज ग्रामीण इलाको रातु, नगड़ी, बुढ़मू, ठाकुरगांव, ओरमांझी, बेड़ो, खूंटी, लोहरदगा, गुमला समेत अन्य जिलों में हर्षोल्लास के साथ सोहराई पर्व मनाया गया. गांव-गांव में किसानों ने अपने पशुओं को देवता और घर की लक्ष्मी का रूप मानकर श्रद्धा व भक्ति से पूजा-अर्चना की. 

 

सुबह से ही खेत-खलिहानों में रौनक देखी गई. किसान अपने साथ गाय, बैल, भैंस और बकरियों को लेकर चराने निकले. वहीं दोपहर बाद इन पशुओं को नदियों, तालाबों और घर के आंगनों में स्नान कराया गया.

 

महिलाओं ने घर के आंगन में आरवा चावल के आटे से चौखट बनाकर पशुओं का स्वागत किया. चौखट पर सिंदूर और टीका लगाया गया. पशुओं के शरीर और सींगों पर करंज तेल लगाया गया, जबकि रंग-बिरंगे रंगों से उनके शरीर पर पारंपरिक डिजाइन बनाए गए.

 

धूप-धूवन दिखाकर गौशाला में प्रवेश कराया गया और पूजा के बाद उनके लिए विशेष भोजन परोसा गया. जिसमें खिचड़ी, बोदी और उड़द दाल से बना प्रसाद शामिल था.

 

पहला सोमरस पीने वाला माना जाता है भाग्यवान : जगदीश पाहन

पूजा के बाद ग्रामीणों ने प्रेम और सौहार्द से पशुओं के साथ बैठकर भोजन किया. पाहन संघ के अध्यक्ष जगदीश पाहन ने बताया कि पशुओं के साथ में एक ही सुप में घर के पुरूष वर्ग और बच्चे एकसाथ भोजन करते हैं. 

 

इसी के साथ एक थाली में तपावन (सोमरस या हड़िया) रखा जाता है, जिसमें पांच या दस रुपये का सिक्का डाला जाता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति सबसे पहले सोमरस ग्रहण करता है, उसे घर का भाग्यवान माना जाता है.

 

दीपावली के दूसरे दिन मनाय जाता है सोहराय पर्व

जगदीश पाहन ने बताया कि दिवाली के दूसरे दिन हर साल सोहराई पूजा मनाने की पंरपरा है. इसमें घर के सभी पशुओं की पूजा की जाती है. इसके साथ ही गांवों में लोकगीत, ढोल-मांदर और सामहिक नृत्य भी किए गए.

 

महिलाओं ने पारंपरिक पोशाक में नाचते-गाते हुए इस आस्था पर्व को मनाया. पशुओं के प्रति कृतज्ञता की भावना प्रकट किए अमावस्या के कारण 22 अक्टूबर को भी मनाया जाएगा सोहराय पर्व.

 

Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp