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झारखंड में सर्वाइकल कैंसर-1: सरकार चाहे तो बच सकती हैं महिलाएं

- राज्य में सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग की नहीं पर्याप्त व्यवस्था - वर्ष 2021-22 में 1.26 लाख महिलाओं की हुई थी स्क्रीनिंग Shruti Singh Ranchi: वर्ष 2021-22 में 1,26,976 महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई थी. इनमें 213 महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का सस्पेक्ट पाया गया. ये आंकड़े झारखंड के सभी जिलों के हैं. राज्य में करीब 45 लाख महिलाएं हैं, जिनकी स्क्रीनिंग की जानी है. अगर सभी 45 लाख महिलाओं की स्क्रीनिंग की जाए तो करीब 7600 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण मिल सकते हैं. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग की पर्याप्त व्यवस्था ही नहीं है.

डब्लूएचओ का आंकड़ा

- वर्ष 2020 में छह लाख से ज्यादा मामले सामने आए और 3.42 लाख महिलाओं की मौत हुई. - 90% मामले निम्न और मध्यम आय वाले देशों में. - भारत में हर साल सर्वाइकल कैंसर के 1.23 लाख मामले. - हर साल 67 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है. - दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर के मामले में भारत 5वें नंबर पर है. बचाव व इलाज दोनों हैं पर जानकारी ही नहीं भारत में महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर सर्वाइकल कैंसर है. इसका बचाव और इलाज दोनों हो सकते हैं पर दिक्कत यह है कि महिलाओं को इस बारे में जानकारी ही नहीं है. यहां तक कि डॉक्टरों को भी ज्यादा जानकारी नहीं है. इस कारण समस्या बड़ी है. अगर सरकार के स्तर से 13-15 साल की गरीब बच्चियों को टीके लगवाये जाते हैं तो महिलाओं को इस बीमारी से बचाया जा सकता है.

13 साल की उम्र से टीका

सर्वाइकल कैंसर न हो, इसके लिए बाजार में टीका उपलब्ध है पर वह महंगा है. रांची समेत पूरे राज्य के प्राइवेट हॉस्पिटल में इसका टीका लगाया जाता है. 3000 से 7000 रुपये तक में सर्वाइकल कैंसर का टीका बाजार में उपलब्ध है. रिम्स के कैंसर ओपीडी की डॉ. सुमेधा गार्गी ने बताया कि महिलाओं में कैंसर के 100 में से 10 मामले सर्वाइकल कैंसर के आते हैं. कई लोगों को पता भी नहीं होता है कि यह बीमारी क्या है. उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार की ओर से अभी तक इस बीमारी के लिए कोई सरकारी टीकाकरण शुरू नहीं किया गया है.

इन 6 राज्यों में नि:शुल्क टीकाकरण

कर्नाटक तमिलनाडु मिजोरम छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश

सर्वाइकल कैंसर है क्या ?

जब कैंसर गर्भाशय ग्रीवा में शुरू होता है, तो उसे गर्भाशय ग्रीवा कैंसर या सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है. इस कैंसर को बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी कहा जाता है. सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय (यूट्रस) के सबसे नीचे के भाग का ट्यूमर होता है. यह गर्भाशय के निचले भाग से शुरू होता है और ऊपरी वेजाइना तक जुड़ता है. जिसे गर्भाशय ग्रीवा कहते हैं. ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचवीपी) के संक्रमण के कारण होता है. एचपीवी वायरस का एक समूह है, जिसके 100 से ज्यादा प्रकार हैं. इसके लगभग 30 प्रकार लैंगिक क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं. इनमें से 14 कैंसर पैदा करने वाले हैं, जिन्हें हाई रिस्क एचपीवी की श्रेणी में रखा गया है. इस वायरस के दो प्रकार 70 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर और सर्वाइकल घावों का कारण बनते हैं.

सर्वाइकल कैंसर के कारण

1. ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) : यह एक यौन संचारित वायरस है, जिसके 100 से ज्यादा प्रकार हैं. इनमें से लगभग 14 प्रकार सर्वाइकल कैंसर का कारण बनते हैं. 2. असुरक्षित यौन संबंध : एचपीवी से संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से यह फैलता है. साथ ही जो महिलाएं एक से ज्यादा पार्टनर के साथ यौन संबंध बना चुकी हैं या जो कम उम्र में यौन संबंध बना चुकी हैं, उनमें सर्वाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा होता है. 3. गर्भधारण : जो महिलाएं तीन या तीन से ज्यादा बच्चों को जन्म दे चुकी हैं, उनमें इस कैंसर का जोखिम ज्यादा रहता है. 4. गर्भनिरोधक गोलियां : ज्यादा समय तक गर्भ निरोधक गोलियों का प्रयोग करने से भी सर्वाइकल कैंसर का जोखिम बढ़ता है.

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती दौर में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन जैसे-जैसे यह गंभीर होने लगता है, इसके लक्षण दिखने लगते हैं. - पैर में सूजन - संभोग के दौरान दर्द - अनियमित पीरियड्स - ज्यादा रक्तस्राव - यूरिन पास करने में परेशानी - किडनी फेल्योर - वजन कम होना - भूख कम लगना - बेवजह थकान - हड्डियों में दर्द

सर्वाइकल कैंसर की स्टेज

शून्य स्टेज : इस स्टेज में गर्भाशय में प्री कैंसर की कोशिकाएं पाई जाती हैं प्रथम स्टेज : इस स्टेज में कैंसर कोशिकाएं गर्भाशय में विकसित होने लगती हैं द्वितीय स्टेज : इस स्टेज में कैंसर की कोशिका गर्भाशय से आगे बढ़कर नाभि के निचले हिस्से में पहुंच जाती है. तृतीय स्टेज : इस स्टेज में कैंसर की कोशिकाएं मूत्राशय तक पहुंच जाती हैं. इस वजह से यूरिन का रास्ता बंद होने लगता है और यूरिन पास करने में परेशानी महसूस होने लगती है. चतुर्थ स्टेज : इस स्टेज में कैंसर की कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों लीवर, हड्डियों और फेफड़ों तक पहुंच जाता है.

इलाज

- सर्वाइकल कैंसर की स्टेज को देखते हुए डॉक्टर शरीर के उन अंगों को हटा देते हैं, जहां तक कैंसर पहुंचा रहता है. - रेडिएशन के जरिए इसमें हाई एनर्जी एक्स-रे बीम से कैंसर की कोशिकाओं को खत्म किया जाता है. - अंतिम स्टेज में इलाज कीमोथेरेपी से किया जाता है. इसमें कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है.

तथ्य

- भारत में सर्वाइकल कैंसर प्रति एक लाख महिलाओं में 18.3 को होता है. - भारत में प्रति वर्ष सर्वाइकल कैंसर से प्रति एक लाख महिलाओं में से 11.4 की मौत हो जाती है. - आईसीएमआर के आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर 8 मिनट पर एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर से हो जाती है. - भारत में 1.6 प्रतिशत महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा है. - सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित एक प्रतिशत महिलाओं की मौत हो जाती है. - भारत में हर साल करीब 80,000 महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर होता है. - भारत में हर साल करीब 35000 महिलाओं की मृत्यु सर्वाइकल कैंसर से हो जाती है.

सरकार क्यों लगवाये टीका

- झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की 50.93 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र के 15.20 प्रतिशत लोग गरीब हैं. इनके पास इतने पैसे नहीं होते कि वे सर्वाइकल कैंसर का टीका बाजार से खरीद सकें. - अगर सरकार 12-16 साल की बच्चियों के लिए सरकारी अस्पतालों में टीके का इंतजाम करती है तो एक बड़ी आबादी को इस जानलेवा बीमारी से बचाया जा सकता है.

सराहा जा रहा डॉ. भारती कश्यप का प्रयास

महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए झारखंड में सरकार की तरफ से कोई गंभीर कोशिश नहीं हो रही है. वहीं, रांची की डॉ. भारती कश्यप द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना हो रही है. डॉ. भारती कश्यप स्वास्थ्य विभाग और वूमेन डॉक्टर्स की टीम के साथ राज्य के सभी जिलों में महिलाओं की स्क्रीनिंग कर रही हैं. वह सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग को जरूरी मानती हैं. बच्चियों को टीके देने की बात पर वह कहती हैं कि यह ठीक होगा. लेकिन इसमें दिक्कत यह है कि हम बाजार के चंगुल में फंस सकते हैं. इसलिए सबसे जरूरी है कि हम ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की स्क्रीनिंग करें. इसके लिए अस्पतालों में आधुनिक मशीनों की उपलब्धता, डॉक्टरों को इस बीमारी की जानकारी और महिलाओं को जागरूक बनाया जाए. डॉ. भारती कश्यप बताती हैं कि डब्लूएचओ की सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन नीति 90-70-90 के तीसरे भाग को लेकर हम चलें. इसके तहत हमें हर जिले में प्रजनन क्षमता वाली 6% महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग अनिवार्य करनी होगी जिनमें जननांग संबंधी सूजन के संभावित लक्षण हैं या जो हाई रिस्क कैटेगरी में आती हैं. कैंसर स्त्री रोग विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के बाद यह बात सामने आई है कि प्रजनन क्षमता वाली 6 प्रतिशत महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर डिजीज यानि गर्भाशय ग्रीवा की सूजन की समस्या रहती है. [wpse_comments_template]

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