- प्रिंसिपल ने नोटिस जारी कर दिया होस्टल खाली करने का आदेश
- सामान्य छात्रावास, आदिवासी बाल कल्याण छात्रावास, अनुसूचित जाति कल्याण छात्रावास तथा पीजी छात्रावास में है चार दर्जन से अधिक हैं अवैध कब्जेदार
- नोटिस आते ही बोरिया-बिस्तर समेटकर भागे अवैध स्टूडेंट
Chaibasa (Sukesh Kumar) : बुधवार को टाटा कॉलेज परिसर स्थित होस्टलों में रहनेवाले विद्यार्थियों तथा ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प की घटना के बाद टाटा कॉलेज के प्रिंसिपल ने नोटिस जारी कर सभी होस्टलों में अनधिकृत तौर पर रह रहे विद्यार्थियों को अविलंब छात्रावास छोड़ने का आदेश दिया है. मालूम हो कि टाटा कॉलेज परिसर में स्थित सभी छात्रावासों सामान्य छात्रावास, आदिवासी बाल कल्याण छात्रावास, अनुसूचित जाति कल्याण छात्रावास तथा पीजी छात्रावास में चार दर्जन से अधिक अवैध कब्जेदार रहते हैं. कॉलेज रूल के मुताबिक पढ़ाई खत्म करने के बाद इनको घर लौटना था. लेकिन ये लोग पहुंच के बल पर दस-पंद्रह वर्षों से यहीं जमे हुए हैं.
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कोई राजनीति करता है, तो कोई ठेकेदारी करता है. तो कोई नौकरी करते हुए भी वहां जमा हुआ है. कुछ ठेकेदार व मुंशी तो हाइवा तक बिना इजाजत के ही कॉलेज कैंपस में खड़ी करते हैं. वे खुलेआम मैदान में दारू पार्टी भी करते हैं. बहरहाल, नोटिस के बाद अवैध कब्जेदारों में हड़कंप मच गया है. अब वे बोरिया-बिस्तर लेकर भागने लगे हैं. कई लोग तो कल ही निकल गये. कहते हैं कि यही लोग कॉलेज का माहौल खराब कर रहे हैं. इन्हीं लोगों की शह पर कॉलेज ग्राउंड में दारू पीने, गांजा व ब्राऊन शुगर पीने के लिये नशेड़ियों का अवैध मजमा लगता है.
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सिक्योरिटी गार्ड जब रोकते हैं तो वे मारपीट करते हैं. ऐसी घटना पहले भी हो चुकी है. विद्यार्थी दबी जुबान स्वीकारते हैं कि छात्रावासों के अंदर भी अब तो नशाखोरी शुरू हो गयी है. गांजा तो यहां आम है. अब ब्राऊन शुगर का नशा भी यहां शुरू हो चुका है. कुछ लड़के बेचते भी हैं. बावजूद टाटा कॉलेज प्रशासन इन अवैध धंधों की ओर से आंखें मूंद रखी है. इसी का परिणाम है कि बुधवार को यह घटना घट गयी.
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हाल ही में दारू पीकर हॉस्टल की छत से गिरकर मर गया था पूर्व छात्र
कुछ माह पूर्व ही जनरल छात्रावास की छत से आधी रात को एक 50 वर्षीय व्यक्ति, जिनका नाम मोतीलाल बोदरा था और पेशे से टीचर था, की छात्रावास की छत से गिरकर मौत हो गयी थी. ये व्यक्ति इसी कॉलेज का पूर्व विद्यार्थी था और पढ़ाई के बाद भी मौत तक हॉस्टल नहीं छोड़ा था. प्रिंसिपल ने इस घटना को दबा दिया था। बाद में इलाज के क्रम में मोतीलाल बोदरा की रिम्स रांची में मौत हो गयी थी. वह पेशे से टीचर था. फिर भी उसने हॉस्टल छोड़ा नहीं था. इसी तरह कुछ फुटबॉल प्लेयर भी आज भी अवैध ढंग से वहां रह रहे हैं. जब चाहे तब आते-जाते हैं.
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पूर्व में भी हो चुकी है गार्डों के साथ मारपीट
पूर्व में भी कई बार टाटा कॉलेज मैदान में विद्यार्थियों व गार्डों के बीच मारपीट की घटना हो चुकी है. इतना ही नहीं, कुछ वर्ष पहले गितिलपी व महुलसाई के हथियारबंद युवकों ने जेनरल हॉस्टल पर हमला बोला था. हमलावरों का कहना था कि होस्टल के विद्यार्थियों ने उनके गांव की लड़की को छेड़ा था. इसलिये उन्होंने इस हमले को अंजाम दिया था. हालांकि बाद में मुफ्फसिल थाने की पुलिस ने ग्राम मुंडा धनुर्जय देवगम के सहयोग से मामले को सुलझा लिया था.