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चाईबासाः कंपनियों से भयादोहन औऱ मजदूरों से लाखों रुपये चंदा वसूलते हैं कथित मजदूर नेता

Lagatar Desk चाईबासा में मजदूरों के नाम पर कथित मजदूर नेताओं की दादागिरी का असल उद्देश्य वसूली है. माइनिंग और फैक्टरी मालिकों से भयादोहन करना और मजदूरों से लाखों रूपये का चंदा वसूलना ही इनका मकसद होता है. मजदूरों को कैसे रोजगार मिले, इसकी चिंता नहीं. हाल के दिनों में दो कथित मजदूर नेता जॉन मिरन मुंडा और मान सिंह तिरिया ने कंपनियों को खूब तंग किया और मजदूरों को कई-कई दिनों तक उनकी कमाई से वंचित रखा. यही कारण है कि दो दिन पहले मजदूरों ने मान सिंह तिरिया के साथ धक्का-मुक्की की. हालात ऐसे बने कि मान सिंह तिरिया को भागना पड़ा. इसे भी पढ़ें :  चाईबासा:">https://lagatar.in/chaibasa-opposition-alleged-labor-leader-man-singh-tiriya-scuffles-workers-asked-why-are-they-snatching-jobs/">चाईबासा:

कथित मजदूर नेता मान सिंह तिरिया का विरोध, धक्का-मुक्की, मजदूरों ने पूछा- क्यों छीन रहे रोजगार

मजदूरों को चंदे के रूप में गाढ़ी कमाई देनी पड़ती है

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को कुछ रसीदें मिली हैं, जिसके मुताबिक जॉन मिरन मुंडा औऱ मान सिंह तिरिया एक तरफ तो आंदोलन के नाम पर मजदूरों को काम करने से रोकते हैं, दूसरी तरफ उनसे चंदा भी वसूलते हैं. तरह-तरह के कार्यक्रमों के नाम पर मजदूरों से 200-400 रूपये का चंदा वसूलते हैं. कितना अजीब है, जिस वक्त आंदोलन की वजह से मजदूरों को मेहनताना नहीं मिलता है, उसी वक्त उन्हें चंदे के रूप में अपनी गाढ़ी कमाई देनी पड़ती है. इसे भी पढ़ें :  चाईबासा">https://lagatar.in/chaibasa-how-long-will-the-alleged-labor-leaders-grandfathering-in-the-name-of-laborers-last/">चाईबासा

: आखिर कब तक चलेगी मजदूरों के नाम पर कथित मजदूर नेताओं की दादागिरी

जॉन मिरन मुंडा पर  28 आपराधिक मामले दर्ज हैं

कथित मजदूर नेता जॉन मिरन मुंडा के बारे में भी कुछ ऐसी सूचनाएं मिली हैं, जो उसे कटघरे में खड़ा करती है. उस पर कुल 28 आपराधिक मामले दर्ज हैं. जिनमें दुष्कर्म से लेकर हत्या की कोशिश करने तक के आरोप हैं. यही कारण है कि चाईबासा पुलिस ने पिछले दिनों कथित मजदूर नेता जॉन मिरन मुंडा को जिला बदर करने का आदेश जारी किया है. कुल मिलाकर चाईबासा जिला में मजदूरों के हक के नाम पर कुछ कथित मजदूर नेता ने आतंक मचा रखा है. उनके आंदोलन का एक मात्र मकसद होता है,

कथित मजदूर नेताओं की दिक्कतें बढ़ गई हैं

मजदूरों को और गरीब बनाते रखना और कंपनियों से भयादोहन करना. लेकिन हाल के दिनों में ग्रामीण मुंडा व्यवस्था से जुड़े लोगों की सक्रियता की वजह से ऐसे कथित मजदूर नेताओं की दिक्कतें बढ़ गई है. मजदूर भी अब समझने लगे हैं कि दादागिरी करने वाले कथित मजदूर नेताओं की वजह से उनका रोजगार छिनता है. कंपनियों का भयादोहन होता है. यही कारण है कि माइंस और फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर ही अब जॉन मिरन मुंडा और मान सिंह तिरिया जैसे दादागिरी करने वाले कथित मजदूर नेताओं के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. [wpse_comments_template]

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