Advertisement

चाईबासा : टाटा कॉलेज को जनजातीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए सुविधाओं की केंद्र सरकार कर रही जांच

Chaibasa : कोल्हान विश्वविद्यालय (केयू) के टाटा कॉलेज को झारखंड का पहला जनजातीय विश्वविद्यालय बनाने को लेकर केंद्र सरकार में तेजी देखने को मिल रही है. लगातार छात्र प्रतिनिधियों की मांग के बाद जनजातीय संबंधित मामले के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के प्रयास पर जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना होने की संभावना है. जानकारी के अनुसार टाटा कॉलेज की जमीन और विद्यार्थियों की बुनियादी सुविधाओं को लेकर सर्वे शुरू हो गया है. इसके अलावा किन-किन भाषाओं की पढ़ाई इस कॉलेज में संभव है, इस पर इंटरनल काम शुरू हो गया है. छात्र प्रतिनिधियों की ओर से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को दिए गए मांग पत्र को गंभीरता से लिया गया. मालूम हो कि पिछले चार-पांच वर्षों से जनजातीय विश्वविद्यालय बनाने को लेकर राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार को मांग पत्र सौंपी जा चुकी है. इसमें स्थानीय राजनीतिक पार्टी से लेकर कई शिक्षक संघ शामिल हैं. क्षेत्रीय भाषाओं को लेकर काम करने वाले समाजसेवियों ने भी विभिन्न माध्यम से केंद्र सरकार को जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए मांग पत्र सौंपा था. मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से कोल्हान में जनजाति विश्वविद्यालय बनाने को लेकर दो बार सर्वे हो चुका है. इसमें पंड्राशाली क्षेत्र में भी जमीन की तलाश की जा रही थी. इसके अलावा घाटशिला कॉलेज घाटशिला को भी जनजातीय विश्वविद्यालय बनाने को लेकर सरकार के पास प्रस्ताव पहुंच गया था. जिसका सर्वे हो चुका है. अब तीसरी बार टाटा कॉलेज चाईबासा को जनजातीय विश्वविद्यालय बनाने को लेकर सर्वे का काम शुरू हो रहा है. इसमें स्थानीय लोगों से लेकर शिक्षकों तक से भी विचार-विमर्श किया जा रहा है. वर्तमान समय में विद्यार्थियों की संख्या को देखा जा रहा है. साथ ही शिक्षकों की संख्या और स्थिति से भी रू-ब-रू हो रहे हैं. मालूम हो कि टाटा कॉलेज में वर्तमान समय में विभिन्न विषय पर 8 हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं.

पूर्व में 80 एकड़ में फैला था टाटा कॉलेज

टाटा कॉलेज की कुल संपत्ति 80 एकड़ से अधिक थी. कोल्हान विश्वविद्यालय को देने के बाद अब सिर्फ 38 एकड़ जमीन ही टाटा कॉलेज के पास बची है. इसके अलावा अन्य स्थानों में भी टाटा कॉलेज की जमीन चिन्हित किया जा रहा है. ताकि विश्वविद्यालय स्थापित होने के बाद अन्य स्थानों में भी जमीन दिखाया जा सके. टाटा कॉलेज के प्राचार्य डॉ एस सी दास ने कहा कि जनजातीय विश्वविद्यालय बनने को लेकर पिछले कई वर्षों से प्रयास किया जा रहा है. छात्र प्रतिनिधि से लेकर राजनीतिक दल की ओर से सरकार को प्रस्ताव दी गई है. टाटा कॉलेज को जनजातीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिले इससे क्षेत्रीय भाषा से लेकर जनजातीय भाषा में बेहतर पढ़ाई होगी. विद्यार्थियों की संख्या में यहां ठीक है. विश्वविद्यालय के लिए जितनी जमीन की जरूरत है उतनी जमीन टाटा कॉलेज के पास है. इसके अलावा और जमीन की जरूरत होगी तो उसके लिए भी विकल्प है. हम सबों का प्रयास है कि जनजाति विश्वविद्यालय का दर्जा मिल जाए. [wpse_comments_template]