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चाईबासा: सिविल सर्जन और मेडिकल ऑफिसर निलंबित, एसीएमओ को मिला प्रभार

LAGATAR NEWS

Ranchi/Chaibasa : पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) जिले के सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित सात वर्षीय बच्ची के एचआईवी संक्रमण होने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने वहां के सिविल सर्जन और मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. विभाग ने एसीएमओ को सिविल सर्जन का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है, ताकि स्वास्थ्य सेवाएं बाधित न हों.

 

इस मामले की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव डॉ नेहा अरोड़ा के नेतृत्व में छह सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति बनाया गया है. समिति को एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है. जांच टीम यह भी सुनिश्चित करेगी कि संक्रमित रक्त की आपूर्ति ब्लड बैंक से हुई थी या बाहरी स्रोत से. साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक सुधारों की सिफारिशें भी तैयार की जाएंगी.

 

इधर, चाईबासा घटना के बाद रविवार को अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जनों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आपात बैठक की. इस बैठक में मेडिकल प्रोक्योरमेंट काउंसिल के एमडी अबू इमरान और विशेष सचिव डॉ नेहा अरोड़ा भी मौजूद थीं. डॉ नेहा अरोड़ा झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डाइरेक्टर भी हैं.

 

बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए. सभी जिलों में एचआईवी जांच के लिए रैपिड किट का उपयोग बंद कर आधुनिक ELISA या NAT मशीनों से जांच कराने का निर्देश दिया गया. ब्लड बैंकों का ऑडिट कराने और रिपोर्ट जल्द जमा करने का आदेश भी दिया गया है. इसके साथ ही, ब्लड बैंक और लैब विभागों में रिक्त पदों पर तत्काल बहाली के निर्देश जारी किए गए हैं.

 

अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने इस घटना को गंभीर प्रणालीगत चूक बताते हुए कहा कि ब्लड बैंक संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी पाए जाने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.

 

इस पूरे मामले की जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी दे दी गई है. मुख्यमंत्री ने इसे अत्यंत गंभीर मामला बताते हुए बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के साथ किसी भी तरह की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

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