Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा के घने जंगल में उसरुईया-पोंगा गांव के बीच दुलाई नदी पर निर्माणाधीन पूल एवं गार्डवाल के निर्माण कार्य में अवैध तरीके से सारंडा जंगल का पत्थर इस्तेमाल हो रहा है. सारंडा का पत्थर को अवैध तरीके से खनन कर इस्तेमाल किये जाने की शिकायत के बाद सारंडा वन प्रमंडल के अधीन कोयना (मनोहरपुर) वन प्रक्षेत्र की टीम ने छापेमारी कर अवैध पत्थर लदा एक ट्रैक्टर को पकड़ने में सफलता पाई है. साथ हीं जंगल में अवैध पत्थर को निकाल कर स्टौक किये जाने का बडा़ भंडार भी पाया गया है. पत्थर लदा ट्रैक्टर को वन विभाग की टीम मनोहरपुर ले गई. इस पूल का निर्माण पलामू/राँची के ठेकेदार जितेन्द्र प्रसाद गुप्ता द्वारा कराया जा रहा है. ठेकेदार द्वारा इससे पहले भी हतनाबुरु-पोंगा मार्ग पर गार्डवाल का निर्माण में जंगल का पत्थरों की चोरी कर पूरा गार्डवाल बनाया गया था. उस समय भी ग्रामीणों ने मनोहरपुर वन विभाग की टीम को सूचना दिया था लेकिन वह तब कार्यवाही नहीं की थी. ग्रामीणों ने बताया की ठेकेदार धमकी देता था कि उसका वन विभाग के साथ अच्छा संबंध है और उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता. लेकिन इस बार वह वन विभाग के हत्थे चढ़ गया. सारंडा डीएफओ अभिरुप सिन्हा ने पत्थर लदा ट्रैक्टर पकडे़ जाने की पुष्टि की है और जरुरी कार्यवाही किये जाने की बात कही.
भ्रष्टाचार व अनियमितता की शिकायत के बाद सांसद गीता कोड़ा पहुंची थी कार्यस्थल
उल्लेखनीय है कि इस पूल के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार व अनियमितता की शिकायत के बाद सांसद गीता कोड़ा बीते 14 जुलाई को कार्यस्थल पर पहुंची थी. कार्य स्थल पर ठेकेदार, विभागीय अभियंता व अन्य सक्षम पदाधिकारी नहीं होने तथा मौजूद ठेकेदार के मुंशी द्वारा किसी भी सवाल का जबाब नहीं देने से नाराज सांसद ने पुल निर्माण का कार्य बंद करा दिया था. सांसद ने बताया था कि यह पुल सारंडा के दर्जनों गांवों के ग्रामीणों की लाइफ लाइन है. इस पुल के नहीं रहने से सारंडा के ग्रामीण पूरे बारिश भर टापू की जिंदगी अपने गांवों में बिताते हैं. वह सभी बुनियादी सुविधाओं से वंचित तथा अस्पताल, प्रखंड व जिला मुख्यालय से पुरी तरह कट जाते हैं. ग्रामीणों की इस समस्या को दूर करने के लिए लंबी लड़ाई के बाद इस पुलिया का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था. लेकिन इसके निरीक्षण में भारी भ्रष्टाचार एवं अनियमितता पाई गई. सांसद ने बताया था कि पुलिया हेतु जितनी गहरी नींव होनी चाहिए वह नहीं खोदा गया है. पुलिया में लगाया जा रहा स्टील घटिया स्तर का एवं प्राक्कलन से काफी पतला है. सीमेंट, गिट्टी व बालू का मिश्रण सही से नहीं किया जा रहा है. भाईब्रेटर मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. कार्य स्तर पर कार्य संबंधी कोई बोर्ड नहीं लगाया गया है, जिससे प्राक्कलन राशी व योजनाओं की जानकारी नहीं मिल पा रही है. कार्य में नदी व जंगल का पत्थर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. मजदूरों को सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी से काफी कम, अर्थात 250 रुपये प्रतिदिन दिए जाने की जानकारी मिली थी. कार्य में बाल मजदूरों को भी लगाया गया था. उन्होंने इस मामले को मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, उपायुक्त आदि के सामने रखने और पूरे कार्य की जांच कराने की बात कही थी. लेकिन कुछ जांच नहीं हुआ. ठेकेदार निर्धारित समय पर पूल का निर्माण कार्य भी पूर्ण नहीं कर सका.
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