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सेल किरीबुरु-मेघाहातुबुरु खदान का अस्तित्व खतरे में.
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चिड़िया खदान में बडे़ स्तर पर खनन की स्वीकृति मिलना असंभव.
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साउथ एवं सेंट्रल ब्लॉक के लीज को अब तक नहीं मिली स्वीकृति.
चाईबासा : मेघाहातुबुरु खदान में लौह अयस्क खत्म, सेल के स्टील प्लांट में भेजा जा रहा लो ग्रेड का अयस्क

SHAILESH SINGH kiriburu (chaibasa){ महारत्न कंपनियों में शुमार सेल की किरीबुरु-मेघाहातुबुरु खदान की साउथ एवं सेंट्रल ब्लॉक के लीज को अब तक स्वीकृति नहीं मिली है. इस कारण दोनों खदानों का अस्तित्व खतरे में पड़ा हुआ है. मेघाहातुबुरु खदान में तो अब लौह अयस्क ही नहीं बचा है. जहां-तहां से लो ग्रेड का अयस्क उठाकर वह काफी कम मात्रा में सेल की स्टील प्लांटों को भेज रही है. लीज का मामला पिछले लगभग 10 वर्षों से लटकने की मुख्य वजह वन्यजीव संरक्षण प्लान से जुड़ा मामला है. उक्त प्लान सारंडा जंगल में निवास करने वाले वन्यप्राणियों की सुरक्षा व संरक्षण से संबंधित है. कई बार यह प्लान बनाकर यहां से झारखंड सरकार और केंद्र सरकार को भेजा जाता रहा है. लेकिन हर बार कुछ तकनीकी खामियों की वजह से फाइल को सुधार हेतु वापस भेज दिया जाता है. इस बार भी इस प्लान से जुड़ी फाइल दिल्ली से वापस रांची संबंधित विभाग को भेज दी गई है.
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