Chaibasa (Sukesh Kumar) : 2 जनवरी 1838 को सेरेंग्सिया गांव में ब्रिटिश सरकार ने ‘बोढ़ो हो और पंडुआ हो’ को पेड़ पर लटका कर फांसी दी थी. सुबह-सुबह दोनों स्वतंत्रता सेनानी को ग्रामीणों के सामने फांसी देने का एकमात्र उद्देश्य कोल्हान के विद्रोही जनता को आतंकित करना था, ताकि कोल्हान की जनता फिर से ब्रिटिश सरकार के कानून का उल्लंघन करने का दु:साहस न करे. अन्यथा उन्हें भी फांसी दे दी जाएगी. 1 जनवरी 1838 की सुबह-सुबह जगन्नाथपुर में पोटो हो, नारा हो और बूढ़ाय हो को ग्रामीणों के सामने पेड़ पर लटका कर फांसी दी गई थी, ताकि दक्षिण कोल्हान के ग्रामीणों तक यह संदेश पहुंचे और विद्रोही डर जाएं. इसी तरह कोल्हान के उत्तरी भाग में निवास करने वाले कोल्हानवासियों को आतंकित करने के उद्देश्य से 2 जनवरी 1838 को सेरेंग्सिया गांव में ‘बोढ़ो हो और पंडुआ हो’ को फांसी दी गई थी, जबकि पांचों हो विद्रोहियों को फांसी की सजा एक साथ सुनाई गई थी.
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कोल्हान की रक्षा के लिए जनता कुछ भी त्याग करने को तैयार थी
कोल्हान की जनता तब अपनी भू स्वामित्व यानि इस्टेट, स्वतंत्रता और संप्रभुता से अगाध प्रेम करती थी. इसकी रक्षा करने के लिए वे कुछ भी त्याग करने के लिए तैयार थे. यही वजह है 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भी कोल्हान के ‘हो विद्रोही’ बढ़-चढ़कर हिस्सा लिये थे. गोनो पाट पिंगुवा जैसे आक्रामक और दबंग नेतृत्वकारी अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी. महात्मा गांधी द्वारा 1917 की प्रथम चंपारण सत्याग्रह आंदोलन में भी कोल्हान के ‘हो विद्रोही’ सत्याग्रह पर बैठे थे. 1920 के असहयोग आंदोलन में फिर रसिका मानकी ने नेतृत्व प्रदान करते हुए घोषणा की थी कि कोल्हानवासी अंग्रेजों को मालगुजारी देना बंद करो. इसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल भेज दिया गया था. जेल से छूटने के बाद रसिका मानकी और सुखलाल सिंकु सहित कोल्हान के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के संयुक्त संयोजन में एक सभा मंगला हाट चाईबासा में हुई थी. इसमें महात्मा गांधी ने हो भाषा से सभा को संबोधित किया था. कालांतर में जब 1937 को ब्रिटिश इंडिया में पहला प्रांतीय चुनाव हुआ तो रसिका मानकी पहला विधायक के रूप में चुने गए थे.
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विद्रोहियों की वीरता देख प्रशासनिक अधिकार दिया
पश्चिमी सिंहभूम के क्रांतिकारी नेता सन्नी सिंकू जानकारी देते हुए कहा कि कोल्हान के हो विद्रोहियों की वीरता को देखते हुए ही अंग्रेजों ने कोल्हान के मानकी मुंडाओं को आपराधिक न्याय का प्रशासनिक अधिकार, दीवानी न्याय का प्रशासन, गांव की संगठन, कोल्हान में किसी दीकू को जमीन स्थानांतरित करने पर रोक का अधिकार, मालगुजारी वसूली का प्रशासन का अधिकार सौंपा, जो आज भी लागू है. कोल्हानवासियों कोल्हान की भू.स्वामित्व यानी इस्टेट, स्वतंत्रता, संप्रभुता की रक्षा करने वाले अमर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करें और प्रण लें कि हम सभी उनके शहादत को स्मरण करते हुए अपनी सामाजिक एकता, पारंपरिक व्यवस्था, रूढ़ी या प्रथा को जीवंत रखेंगे.
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