Chaibasa (Sukesh Kumar) : कोल्हान विश्वविद्यालय व कला संस्कृत विभाग झारखंड सरकार के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को करम परब पूर्व संध्या समारोह सह सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं संगोष्ठी का आयोजन किया किया. कोल्हान विश्वविद्यालय के सभागार में यह कार्यक्रम आयोजित हुई. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के मंत्री जोबा मांझी शामिल हुई. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि करम परब सिर्फ पूजा ही नहीं है, यह एक प्राकृतिक की रक्षा है. प्राकृतिक की रक्षा करने के उद्देश्य से ही हम सब करम परब मनाते हैं. झारखंड के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में भी यह कार्यक्रम आयोजित की जाती है. जिसमें क्षेत्रीय व जनजाति लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. करम परब हर किसी के लिए गर्व की बात है. उन्होंने झारखंड सरकार की कला सांस्कृतिक विभाग को भी हार्दिक स्वागत किया. कार्यक्रम में मुख्य रूप से स्वागत भाषण टीएलएल विभाग के एचओडी डॉ. अर्चना सिन्हा ने किया.
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झूमर सम्राट संतोष महतो ने की कर्म गीत की प्रस्तुति
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विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में कुड़माली भाषा के झूमर सम्राट संतोष महतो के अलावा उनकी पुत्री दीपिका महतो समेत संथाली हो मुंडारी भाषा के गीतकार ने कर्म गीत की प्रस्तुति दी. इस दौरान करम पेड़ के टहनी को लाया गया और गीत प्रस्तुत किया गया. मौके पर शिक्षक मनसा महतो समेत काफी संख्या में लोग नृत्य में अपनी भागीदारी निभाई.
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कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न स्थानों से पहुंचे वक्ता
कार्यक्रम दो सत्र में आयोजित किया गया. पहले सत्र में मुख्य अतिथि द्वारा कार्यक्रम को संबोधित किया गया. जबकि द्वितीय सत्र में विभिन्न भाषा के वक्ताओं ने अपनी-अपनी प्रस्तुति दी. जिसमें संथाली भाषा के वक्ता मदन मोहन सोरेन, बाबूराम सोरेन एवं उनके दल ने प्रस्तुति थी. वहीं हो भाषा के वक्ता के रूप में रांची विश्वविद्यालय के सहायक प्रधानाध्यापक दिलदार पूर्ति व बोयो गागराई ने नृत्य प्रस्तुत किया. इसके अलावा कुड़माली वक्ता के रूप में धनबाद से आए शोधार्थी पांडव महतो ने अपनी प्रस्तुति दी. वहीं उरांव समाज के वक्ता रूप में भगवान दास तिर्की ने अपनी प्रस्तुति दी. कुलसचिव डॉक्टर जयंत शेखर ने कहा कि झारखंडी पारंपरिक रीति रिवाज के त्योहारों को मानने से हम सबों को गर्व महसूस होती है. इस दौरान विषय प्रवेश सहायक प्रधानाध्यापक सुभाष चंद्र महतो ने दिया. जबकि मंच का संचालन संस्कृत विभाग के सहायक प्रोफेसर दानगी सोरेन ने की. मौके पर मुख्य रूप से जनजाति व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक बसंत चाकी आदि उपस्थित थे.
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सांस्कृतिक कार्यक्रम से विद्यार्थियों को बढ़ता है हौसला
करम परब से पूर्व सांस्कृतिक कार्यक्रम से विद्यार्थियों का हौसला बढ़ता है. अपनी पारंपरिक रीति रिवाज भी जीवित होती है. झारखंड सरकार के कला सांस्कृतिक विभाग ने कोल्हान विश्वविद्यालय को इसके लिए पत्र जारी किया था और कार्यक्रम आयोजित करने का आदेश दिया था. जिसके पश्चात टीआरएल विभाग की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया जो बेहतर रहा. विद्यार्थियों में काफी हर्ष है. प्रत्येक साल इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
डॉ अर्चना सिन्हा, एचओडी, टीआरएल, केयू
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करम परब की अलग पहचान है
त्योहार तो हर साल होते रहते हैं, लेकिन करम परब त्योहार की पहचान अलग है. यह त्योहार हमें प्राकृतिक से जुड़ाव का एहसास दिलाता है. यह पर्व हमारे लिए गर्व की बात है. इसे पारंपरिक रीति रिवाज के साथ लोगों को मनाना चाहिए. संगीत भी प्राकृतिक से जुड़ा हुआ है. एक-एक शब्द प्राकृतिक से लिया गया है. विभाग में इसकी पढ़ाई तो होती है. लेकिन आज इस कार्यक्रम से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला.
संगीता महतो, छात्रा, टीआरएल
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प्रकृति की पूजा हमारे लिए गर्व की बात है
कोल्हान विश्वविद्यालय में पहली बार इतने भव्य तरीके से आयोजन किया गया. प्रकृति की पूजा करना हमारे लिए गर्व की बात है. इस तरह से कार्यक्रम होना और सफलता के साथ होना ऐसा लगता है कि हर साल हम लोग बेहतर करेंगे. लोगों से अपील है कि इस तरह के कार्यक्रम में जरूर शामिल हों.
ममता महतो, छात्रा, टीआरएल